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Rohan Beniwal

Rohan Beniwal

@rohanbeniwal113677
(7)

today 4:30 p.m.

तुम घायल थी, मैंने तुम्हें अपनाया,
हर पल तुमसे प्यार का अहसास पाया।
फिर एक दिन तुमने उड़ान भर ली,
मुझे छोड़कर, दूर कहीं चली।
अब तुम आकाश में उड़ती हो।

तुम थी मेरे पास थोड़े दिन,
पर प्यार तुम्हारा, दिल में रहेगा हमेशा हर दिन।

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गर्मी ने हर किसी को बेहाल किया,
जून से पहले ही 40 का आंकड़ा,
अब हर तरफ बस तपिश ही छाया।

तेरी हँसी में छुपी थी मेरी सुबह,
तेरी ख़ामोशी में ढलती थी मेरी शाम।
तेरी बातों से महकता था मौसम,
तेरी यादों से भीगते थे मेरे जज़्बात।

राहें बदलती रहीं, कारवां चलते रहे,
पर आज भी ताज़ा है,
वो पहली नज़र का जादू —
तेरे मेरे बीच ।

ना वक़्त रुका,
ना मौसम थमे,
पर जो ठहर गयी है,
वो है —
तेरी मेरी कहानी।

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राजस्थान के थार का निवासी हूँ या कहू पश्चिम राजस्थान का, और मेरे लिए यहाँ का जीवन सिर्फ एक दिनचर्या नहीं, बल्कि एक गहरी अनुभूति है – रेत के हर कण में इतिहास की गूंज, संस्कृति की महक और संघर्ष की चमक बसती है। बचपन से ही मैंने तेज धूप, गर्म हवाओं और सीमित पानी के बीच जीना सीखा है। पर इसी में मैंने अपनापन, सादगी और आत्मबल भी पाया है।

यहाँ का जीवन कठिन जरूर है, लेकिन इसमें जो मिठास है, वह कहीं और नहीं। सुबह की ठंडी हवा में ऊँटों की घंटियों की आवाज, खेतों में मेहनत करते किसान, और घरों से आती रोटियों की महक – यह सब मिलकर एक खास वातावरण बनाते हैं। यहाँ के लोग मेहनती हैं, सीधे हैं, और दिल से जुड़े होते हैं।

पश्चिम राजस्थान की संस्कृति हमारी सबसे बड़ी ताकत है। चाहे वो रंग-बिरंगे कपड़े हों, मारवाड़ी बोली, या लोकगीतों की मधुर धुन – ये सब मिलकर हमें हमारी जड़ों से जोड़ते हैं। घरों में माँ के बनाए बाटी-चूरमे का स्वाद, और दादी-नानी की कहानियाँ, मेरी जिंदगी का अमूल्य हिस्सा हैं।

यहाँ जीवन सिर्फ जीवित रहने का नाम नहीं, बल्कि हर परिस्थिति में खुश रहने और प्रकृति के साथ तालमेल बिठाने की कला है। रेत के बीच भी उम्मीद की हरियाली उगाई जा सकती है – यह मैंने यहीं सीखा है।

मुझे गर्व है कि मैं राजस्थान के थार मरुस्थल से हूँ – जहाँ जीवन एक परीक्षा है, लेकिन हर दिन इसे पास करने का हौसला हमारे भीतर होता है।

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थार मरुस्थल में जीवन बिताना भी एक अनोखा अनुभव है।