लेखनी मेरा विस्तार ..(3) पुसतकों का प्रकाशन.. "एक मुसाफिर ऐसा भी" बाल ठाकरे,"नस बंदी से नोट बंदी तक"काव्य संग्रह,"विकास पथ नरेन्द्र मोदी"Biography तीनों पुस्तकें"amazon" पर उपलब्ध हैं। ebook.."एक कदम आत्मनिर्भरता की ओर".coming soon new ebook... गजल़

"धरती पर कुछ शुतुरमुर्ग प्रजापति के इंसान भी होतें हैं..जो..रेत में सर छुपाकर दुनिया को मृगमरिचिका के पैमाने से देखते हैं"
---डॉ अनामिका----

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"कब, पीड़ा से मुक्त हुआ है संसार
कहाँ रूका है बेटियों पर हो रहा अत्याचार
स्त्रियाँ आज भी पीड़ित हैं
आए दिन हो रहा उनपर घरेलु हिंसाचार"
कानून चाहे कितना ही बने,
कभी खत्म नहीं होगा, इन दरिंदों का व्यभिचार "
--डॉ अनामिका--

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कुछ लिखूं.. 🤔
क्या लिखूँ..?
मौसम
बाजार भाव
सभ्यता
संस्कृति
धरोहर
सहिष्णुता
धर्मनिरपेक्षता
विद्रोह
समझौता
धर्मांतरण
समर्पण
समाजवाद
परिवारवाद
जातिवाद
क्षेत्रवाद
धर्मवाद
या
राजनैतिक मुद्दे
सब तो रोज लिखा जाता है..
शब्दों की गरिमा
कब तक बचेगी ?
रक्तरंजित शब्द
झकझोर देतें हैं मन को..
अब और.... कुछ..!!!!
???
डॉ अनामिका---

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"उसने रास्ता बदल दिया ,या बदलने लगा है..
न जाने की जिद्द हमेशा से ही रही,पर वो अब जाने लगा है... "
----डॉ अनामिका-----

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"तुम कहो तो इक गज़ल लिखूँ, मुखड़े और अंतरा से तुम्हें सजाऊं..
रंग भरकर अपनी तूलिका से,खूबसूरत जहाँ को, बस तुम्हारा बनाऊं"
--डॉ अनामिका---

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"किनारे हो लिए हम जमाने से.फकत इक नाम बाकी है..
मिटने का इंतजार तो शमां से परवाना भी करता है"

-डॉ अनामिका

"आकार देकर ,सुंदर बर्तन बनाया कुंभाकार ने
संसारियों ने उस माटी को कंकड़ बना दिया "
---डॉ अनामिका-----

-डॉ अनामिका

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"यल्लो लाईन, पीली लाईन..
वॉलेट लाईन, रेड लाईन...
कितनी सुंदर प्यारी लाईन..
कश्मीरी गेट हो कि केंद्रीय सचिवालय
प्यारा सुंदर विश्व विद्यालय..
प्रहरी बना अक्षर धाम..
गोविन्द पुरी से राजीव चौक..
समयपुर बादली की ओर
हर तरफ है..
गंतव्य तक पहुंचने की होड़..."
---डॉ अनामिका---

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"शराफत ओढ़ने का तर्ज़ पुराना है
अभी कुछ शराफत जद़ का कर्ज चुकाना है"
---डॉ अनामिका---

-डॉ अनामिका

"जब मानवीय मूल्य समापन की ओर हो, तब उपद्रव का जन्म होता है उपद्रव का मुद्दा केवल और केवल संप्रभुता,सहिष्णुता,एकता को खंडित करना होता है"
----डॉ अनामिका----

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