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दिल के रंग की क्या बात कहे खुशबू से भीगी मंद बयार कहे बादलों से झांकता मेहताब कहे या इश्क में डूबा लाल गुलाब कहे बेइंतहा धड़कता रात दिन सीने में किन लफ़्ज़ों में इसके जज़्बात कहे।। सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
देखी जमाने तेरी कुछ अजब ही रिवायतें अपनी मुफलिसी में जिन्हें हमदर्दी जताते पाया वही मेरी खुशहाली से ज्यादा परेशान नजर आया!! सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
अपने तप से वृंदा बनी विष्णु प्रिया शालिग्राम संग हुआ इनका विवाह सभी रोग व्याधियों का करती यह नाश जिस घर आंगन में रहता इनका वास वह घर आंगन इस धरा पर स्वर्ग समान।। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
जिंदगी में सुकून के साथ चाहिए रिश्तों का भी साथ तो सीख लीजिए थोड़ी सी चुप्पी, थोड़ी अनदेखी और थोड़ा सा नजर अंदाज करना जनाब! सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
ये जिंदगी है कुछ चाय सी कभी ठंडी, कभी गरम कभी खुशबूदार, कभी बेस्वाद कभी सादी, कभी मसालेदार कभी ताजगी से भरपूर और कभी ठंडी पपड़ीदार कभी दो प्याले भी लगते कम कभी एक से ही उकता जाता मन कभी मीठी ज्यादा, कभी फीकी कम कभी इसे महफिलें भाती कभी अकेले ही सुकून पहुंचाती सुख में साथी, दुख में हमदर्द चाय सी है जिंदगी या जिंदगी सी चाय सुलझाएंगे किसी दिन ऐ जिंदगी!! इस मसले को फुर्सत में बैठकर। सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
माना चांद की शीतल चांदनी प्रेमियों को बहुत लुभाती है और सूरज की तेज रोशनी इस जगत के सभी काम बनाती है । लेकिन इनसे बढ़कर आसमान में टिमटिमाते इन छुटकू से तारों की बात निराली है, तारों की झिलमिलाती बारात बच्चों के साथ बड़ों को भी खूब लुभाती हैं। किसका बचपन होगा भला! जो इनको गिनने में ना बीता हो और इनके टिमटिमाने के रहस्य से पर्दा उठाने में अपने साथ दोस्तों का दिमाग ना रीता हो। कुछ तारे अपने कुछ बहन भाइयों की जागीर बन जाते थे उनकी छोटी - मोटी आकृतियों से एक दूसरे को खूब चिढ़ाते थे। हंसी ठिठोली बातें करते बीत जाता एक पहर रात का बाकी तारों जैसे आंखें टिमटिमाने में और सुबह सारा घर हिल जाता हम बच्चों को जगाने में। लेकिन धीरे-धीरे वक्त ने बदली करवट, आधुनिक हो गए अब गांव-शहर, बच्चे व्यस्त अब टीवी मोबाइल में और भारी भरकम पढ़ाई में। आधुनिक बचपन को कहां फुर्सत प्रकृति संग वक्त बिताने की, तारों को गिनने और सूरज चांद संग लंबी दौड़ लगाने की ।। सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
देखा मुझे जिसने जिस नजर से मैं उसे उसी रूप में नजर आई कमियां ढूंढने वालों को दिखी अनगिनत कमियां और खूबियां ढूंढने वालों को एक कमी भी नजर ना आई।। सरोज✍️ - Saroj Prajapati
संभलने के लिए गिरना भी जरूरी है संवरने के लिए बिखरना भी जरूरी है सुलझने के लिए उलझना भी जरूरी है ये जिंदगी है साहब! यहां हर कदम पर तजुर्बे भी जरूरी है।। सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
ज्योति का पर्व रोशन करें घर- बार घर बार संग मन- आंगन में भी सकारात्मक का एक दीप जलाएं इस बार जब अंतर्मन होगा प्रकाशमान 🪔 तभी सार्थक होगा दीपावली का पावन त्योहार ।🪔🎇 आपको सपरिवार दीपावली पर्व की रोशनी व मिठास से भरी हार्दिक शुभकामनाएं ।🙏🙏 सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
छोटी दिवाली बड़ी बहन दीवाली की उंगली पकड़े आई छोटी दीवाली मचल मचल बड़ी बहन से हठ कर बैठी करवाओ पहले मेरे स्वागत की तुम तैयारी माना तुम्हारे लिए दीपों की कतार सजेगी लेकिन मेरे लिए भी कुछ तो दीप जलाओ बड़ी बहन हो कुछ तो बड़ी बहन का तुम फर्ज निभाओ सुनकर उसकी मीठी बातें बड़ी दिवाली मुस्काई स्वागत होगा तुम्हारा पहले, फिर बारी मेरी आएगी तुम्हारे आगमन पर शुभ पांच दीप जलेंगे उसके बाद ही बड़ी दिवाली मनाई जाएगी ।।🪔🎇 सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati
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