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Saroj Prajapati

Saroj Prajapati Matrubharti Verified

@saroj6130
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listen people
ये जो नमक है ना.....
वो खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए है
किसी के ज़ख्मों पर छिड़कने के लिए नहीं!!
- Saroj Prajapati✍️

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listen people
यह जो कान है ना! वो सुनने के लिए है
इधर-उधर लगाने के लिए नहीं।।
सरोज की क़लम से ✍️
- Saroj Prajapati

शायद वादियों को भी हो गया था
शैतानों के नापाक मकसद का गुमान
तभी फटा मूक पहाड़ों का सीना
और फूट फूटकर रोया था
एक दिन पहले ही आसमान !!
सरोज ✍️
- Saroj Prajapati

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वो पूछते इंसान का धर्म
इंसानियत धर्म से नहीं
जिनका दूर-दूर तक कोई नाता।
मजहब की आड़ में करते खून खराब
फिर पाक दामन दिखने का
वो खुद ही करते शोर शराबा।
दूसरों का घर जलाकर तमाशबीन बनते हैं
अपने घर देख एक चिंगारी हलक इनके सूखते हैं
इस जन्नत को अपने हाथों बना जहन्नुम
वो काफ़िर सजदे में, जन्नत की दुआ करते हैं !!
सरोज ✍️






- Saroj Prajapati

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चाय की चुस्की और दोस्तों का साथ
कुछ मिनटों में ही खत्म हो जाती है
दिनभर की थकान।
Saroj Prajapati

जुबान आपकी, चलाइए इसे अपने हिसाब
बस इसे चलाते समय रखें, इतना सा ध्यान
बेवजह दूसरों को घायल न करें, इसकी धार।।
सरोज ✍️
- Saroj Prajapati

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क्यों करना किसी से प्रशंसा की उम्मीद
अगर है आपको खुद पर यकीन।
सरोज प्रजापति ✍️
- Saroj Prajapati

छोड़ दीजिए खुद को दूसरों की कसौटी पर परखना
खुद को खुश रखने का इससे बेहतर नहीं कोई रास्ता।
सरोज ✍️
- Saroj Prajapati

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जब कभी करनी हो खुद से गुफ्तगूं
तब अकेलेपन से बेहतर कोई साथी नहीं।।
सरोज ✍️
- Saroj Prajapati

स्त्रियां उठ जाती हैं मुंह अंधेरे,
फिर एक पैर पर चक्करघिन्नी सी घूमती रसोई संग घर के और जरूरी कई काम निपटाती जाती है।
बच्चे और पति खा पीकर हो अच्छे से तैयार इसलिए
सबको टिफिन संग उनका हर सामान हाथ में पकड़ाती है।
लेकिन सुबह की इस आपा धापी में अक्सर ठंडी हो जाती उसकी चाय तो कभी अपना टिफिन ही भूल जाती है।

कितनी ही बार सोचती है कि कल मैं भी
अच्छे से सज संवर अपने स्कूल और दफ्तर जाऊंगी
लेकिन घर परिवार की जिम्मेदारियां के आगे
कहां खुद को चाह कर भी वो समय दे पाती है।
अब तो अलमारी में टंगी साड़ियां भी उसको मुंह चिढ़ाती है ।
लेकिन कर उनको अनदेखा बेमन से कुछ भी पहन
अस्त-व्यस्त सी वो हर रोज़ दौड़ती भागती सी स्कूल ,ऑफिस के लिए निकल जाती है।

भर जाता जब भीतर उसके अथाह लावा
तब खूब चीख चिल्लाकर अपनी तकलीफ दिखलाती है।
लेकिन अगले ही पल सबका दिल दुखाने के लिए
खुद को ही दोषी पाकर फूट-फूट कर आंसू बहाती है।
नहीं चाहती उसके कारण हो किसी को तकलीफ
इसलिए हर ग़म खुद ही हंसते हंसते पी जाती है।

झूठे हैं वो लोग... जो कहते हैं कि
एक स्त्री अपने भीतर कोई राज़ छुपा नहीं पाती है।
जुड़े रहे रिश्ते और बसा रहे उसका घर संसार
इस खातिर जीवन भर दफनाए रखती सीने में कई राज़
और आखिर में इन राज़ संग ही वो दफन हो जाती है।।
सरोज ✍️


- Saroj Prajapati

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