मैं श्रुतकीर्ति अग्रवाल, पटना, बिहार में रहती हूँ। शुरू से ही, कथा-कहानियों के माध्यम से पूरी दुनिया को और उससे भी बढ़कर इन्सान को जानने-समझने की बड़ी उत्सुकता रही जिसने पढ़ना सिखाया और कालांतर अपनी अनुभूतियों को कहानियों में ढालना भी। और अब, पाठकों द्वारा अपनी सोंच के प्रति सहमति से उत्साहित हूँ, अनुगृहित हूँ। तथा धन्यवाद देना चाहती हूँ मातृभारती को जिन्होनें मेरी कथाओं को आपतक पँहुचाया, श्रवण माध्यम में ढाला और शाॅर्ट फिल्म बनाने के लिये चुना। धन्यवाद

समन्दर के पानी में तरंगें उठी थीं
आसमानों को छूने पतंगें चली थीं
मेरा नाम आया लबों पर तुम्हारे
तो दिल में हजारों उमंगे उठी थीं

लो चूड़ी खनक गई ये पायल की छन-छन
दिलकश बयारें सुवासित है कन-कन
खुल न जाए कहीं ये भेद दिलों का
होठों की बातों और आँखों की अनबन

मौलिक एवं स्वरचित

श्रुत कीर्ति अग्रवाल
shrutipatna6@gmail.com

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-- श्रुत कीर्ति अग्रवाल

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