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न तुम भुले न हम भुल पाएं .. ये 'मोहब्बत' थी जनाब, कोई किताब का पन्ना नहीं जो पलट दिया जाएं। - Soni shakya
"मैं वो पंछी हुं जिसे प्रेम है, तेरी सलाखों से..! तु पिंजरा खोल भी दे तो, मेरा उड़ना 'नामुमकिन' है...!! - Soni shakya
तेरा नाम लेने से मेरे शब्द ऐसे महक जाते हैं जैसे- बारीश की बुंदों से, मिट्टी की खुशबु आती है..! तुम, कोई आदात नहीं,जो छुट जाए। तुम तो 'वो' एहसास हो जो रग -रग में समाती है ..! - Soni shakya
पुछोगे सवाल तो, जवाब बस-- यही है । 'उनको' बुला दो बाक़ी सब-- सही है । - Soni shakya
""मुझे मेरे दर्द और दवा, दोनों से इश्क है। क्या करू कमबख्त , दोनों की वजह भी एक ही है""। - Soni shakya
किन लफ़्ज़ों में लिखुं मैं, अपने इंतजार को.. तुम्हे..! बेजुबां है इश्क मेरा, ढुंढता है ख़ामोशी से.. तुम्हें ...!! - Soni shakya
नासमझ नहीं है वो फिर भी, नहीं समझ सका मेरे कहे---अल्फ़ाज़ ..! और मैं, नहीं समझा सकी उसे मेरे अनकहे --जज़्बात..!! - Soni shakya
जो जानते हैं-- बिछड़ जाने का दर्द ..! वो साथ बैठें परिंदों को भी नहीं उड़ाते..!! - Soni shakya
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