Quotes by Tripti Singh in Bitesapp read free

Tripti Singh

Tripti Singh Matrubharti Verified

@triptisingh171505
(29)

कांपते हाथों में अब न सामर्थ बचा है,
फिर भी जकड़े हैं वात्सल्य का पक्का धागा।

आँखों की रौशनी धुंधली हो चली,
पर बेटे - बेटी के लौटने की राह देखी जा रही है अभी।

शब्द कम हो गए हैं, आहें - करहें बढ़ गईं है ,
लेकिन फिर भी हमारी फिक्र में निकली है एक धीमी आवाज।

अब दर्द की चुप्पी उनके चारों ओर छा गई है,
पर हमारे लिए आज भी मुस्कुराते खड़े है।

न कह पाए अपना खालीपन,
न जता पाए कोई अपनापन।

बूढ़ी आँखों में तैरते हैं अधूरे से सपने,
जो बेटे-बेटियों की व्यस्तता में खो गए है कहीं।

माँ-बाप का बुढ़ापा, बस एक मौन धारण करती कथा है,
जिसे समझना है, सुनना है... निभाना है।

लेकिन शायद हम समझ नही पा रहें हैं,
आखिर क्यों.......???

क्या इतनी व्यस्तता है.......???

Tripti Singh.....

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हिन्दी दिवस" की ढेरों शुभकामनाएं आप सभी को! ❤️

"हमारी राष्ट्रभाषा हो तुम"
"सबसे प्यारी भाषा हो तुम"
"मातृभूमि की पहचान हो तुम"
" हमारे देश की शान हो तुम"
"हम भारतीय का मान हो तुम"
"तुम से ही रोशन देश का नाम है"
"क्योंकि की हमारा अभिमान हिन्दी भाषा हो तुम"


Tripti Singh....

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जन्माष्टमी की ढेरों शुभकामनाएं आप सभी को! ❤️💐🎉

Tripti Singh.......

आपको सब को पवित्र एवं पावन पर्व रक्षाबंधन की ढेरों शुभकामनाएं, आपको जीवन में ढेरों सफलताएं और खुशियां मिलें!


रक्षा सूत्र बंधवाने के बाद आप तोहफे में अपनी बहनों को अपनी अस्मिता की रक्षा स्वयं से करना सिखाये क्योंकि आप हर जगह मौजूद नही रह सकते, और इस हैवानियत भरे समाज में सिर्फ बेटियों का पढ़ना ही जरूरी नही है स्वयं की रक्षा करना भी जरूरी है, नही तो हर रोज निर्भया, अभया होती ही रहेगी और कोई कुछ नही कर पाएगा क्योंकि राजनीतिज्ञों से सुरक्षा की उम्मीद अब खत्म हो चुकी है।


Tripti Singh.......

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स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं! 🧡🤍💚🇮🇳🇮🇳🇮🇳
शुभ प्रभात, आप सब का दिन शुभ हो। 😊

आज के आधुनिक युग में टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया, इन सब का होना भी एक घने जंगल से कम नहीं जिसके अंदर भटकना बहुत खुशी देता है, जिस तरह से जंगल में हमे कुछ विषैले फल तो कुछ गैर विषैले फल को और कई तरह के पेड़ पौधों को जानने समझने का मौका मिलता है।

ठीक उसी तरह हमे टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया में भी यही देखने को मिलता है जिसमें कुछ लोग अंदर बाहर दोनों से ही विषैले हैं तो कुछ लोग शहद रूपी विष रखते हैं तो कभी कुछ बहुत अच्छे विचारों के लोग मिल जाते हैं।

Tripti Singh.....

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मैंने अपने गमों में कमी देखी!
जब मुस्कराती हुई "माँ" देखी!

मैंने खूबसूरती बेइंतहा देखी!
जब मुस्कराती हुई माँ देखी!

मोहब्बत कितनी ही गहरी क्यों ना हो!
उसका आखिरी अंजाम जिस्म ही होता है!

#Just post

मोहब्बत भी अब दिमाग से कीजिए जनाब!
क्योंकि दिल से तो अब खिलवाड़ किया जाने लगा है!


#Just post