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मुझे ये मत बताओ कि उन्होंने मेरे बारे में तुमसे क्या कहा ? मुझे बताओ कि वे तुम्हें बताने में इतने सहज क्यों थे ? - उषा जरवाल
बुरे वक्त में कंधे पर रखा गया हाथ कामयाबी की तालियों से ज्यादा कीमती होता है । - उषा जरवाल
सम्मान देने के भी पैमाने बदल गए हैं । पहले बड़ी ‘आयु’ को सम्मान मिलता था और अब बड़ी ‘आय’ को । - उषा जरवाल
दूसरों से अपनी तुलना करके स्वयं को अपमानित न करें । आप ईश्वर की अनमोल कृति हैं । उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’
एक स्त्री … अपने अंतःकरण में न जाने कितनी नदियों को समेटे हुए है । ऐसे ही वह ‘खारा समुद्र’ नहीं बन जाती । - उषा जरवाल
एक सविनय निवेदन - यदि मेरे व्यवहार से आपके हृदय को कोई ठेस पहुँची है या आप मेरी किसी बात से आहत हुए हैं तो उस विषय में आप मुझसे बात कीजिए । इससे मेरे प्रति आपकी भ्रांति दूर होगी और आपकी समस्या का समाधान भी हो जाएगा । सबसे बड़ी बात - आपके मन में मेरे प्रति कोई द्वेष नहीं रहेगा । लेकिन ….. यदि आप मेरी बात के लिए किसी और से इस विषय में वार्तालाप करेंगे तो समस्या हल होने की अपेक्षा दुगुनी हो जाएगी - पहला आप वृथा ही उनके हँसी का पात्र बनेंगे । दूसरा आपका मन द्वेष और ईर्ष्या से इतना भर जाएगा कि आप स्वयं ही उसका बोझ नहीं उठा पाएँगे । मनोरंजन सेहत के लिए हितकर होता है लेकिन आपकी एक गलती के कारण यही मनोरंजन मनोभंजन का रूप ले लेता है । इसलिए जो भी आपके हृदय में है - मुझसे स्पष्ट कहिए । इसके लिए किसी मध्यस्थ की आवश्यकता नहीं है ।
आजकल मेरे कई शुभचिंतक मुझसे पूछते हैं कि पहले मेरे लेखन में सकारात्मकता हुआ करती थी लेकिन अब नहीं, ऐसा क्यों ? मैं उनसे केवल इतना कहना चाहती हूँ - “एक भरे हुए चाय के प्याले में और चाय डालने से चाय उँडलकर बाहर ही आनी है इसलिए अपनी चाय का ज़ायका खराब क्यों करना ! उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’
हम बुरे ही सही हैं । अच्छा बनने से कौन - सा मैडल मिल गया था ? 😉😎 उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’
दिलों में रहना सीखिए, ग़ुरूर में तो हर कोई रहता है । मुँह पर कहना सीखिए, पीठ पीछे तो हर कोई कहता है । उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’ - उषा जरवाल
उम्मीद रखना सकारात्मकता है लेकिन केवल दूसरों से ही उम्मीद रखना आपकी नकारात्मकता को दर्शाता है । उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’
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