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𝘒𝘢𝘶𝘯 𝘴𝘢𝘩𝘪 𝘩𝘢𝘪 𝘢𝘶𝘳 𝘬𝘢𝘶𝘯 𝘨𝘢𝘭𝘢𝘵 𝘈𝘣 𝘮𝘢𝘪𝘯 𝘺𝘦𝘩 𝘴𝘢𝘮𝘫𝘩𝘢𝘯𝘦 𝘯𝘢𝘩𝘪 𝘢𝘢𝘶𝘯𝘨𝘢 𝘏𝘰 𝘴𝘢𝘬𝘦 𝘵𝘰𝘩 𝘪𝘴𝘴 𝘣𝘢𝘢𝘳 𝘵𝘶 𝘮𝘢𝘯𝘢 𝘭𝘦 𝘮𝘶𝘫𝘩𝘬𝘰 𝘪𝘴𝘴 𝘣𝘢𝘢𝘳 𝘮𝘢𝘪𝘯 𝘮𝘢𝘯𝘢𝘯𝘦 𝘯𝘢𝘩𝘪 𝘢𝘢𝘶𝘯𝘨𝘢 𝘛𝘦𝘳𝘢 𝘩𝘰𝘰𝘯, 𝘵𝘦𝘳𝘢 𝘩𝘪 𝘳𝘢𝘩𝘶𝘯𝘨𝘢 𝘭𝘦𝘬𝘪𝘯 𝘈𝘣 𝘵𝘶𝘫𝘩𝘦 𝘺𝘦𝘩 𝘺𝘢𝘢𝘥 𝘥𝘪𝘭𝘢𝘯𝘦 𝘯𝘢𝘩𝘪 𝘢𝘢𝘶𝘯𝘨𝘢.. 𝘛𝘶𝘯𝘦 𝘬𝘢𝘩𝘢 𝘵𝘩𝘢 𝘮𝘢𝘪𝘯 𝘵𝘶𝘫𝘩𝘦 𝘴𝘢𝘵𝘢𝘵𝘢 𝘩𝘰𝘰𝘯 𝘣𝘰𝘩𝘰𝘵 𝘑𝘢𝘢, 𝘢𝘣 𝘮𝘢𝘪𝘯 𝘵𝘶𝘫𝘩𝘦 𝘴𝘢𝘵𝘢𝘯𝘦 𝘯𝘢𝘩𝘪 𝘢𝘢𝘶𝘯𝘨𝘢..🥀
तारीफ़ तो ख़ैर तेरी भी उन नज़्म और ग़ज़लों से कम नहीं , जिन्हें नुसरत अपनी महफ़िलों में सजाया करते थे , जगजीत अपनी धुन में गुनगुनाया करते थे ! असल में अगर तारीफ़ में तेरी कुछ लफ़्ज़ कहु , तो तुझ जैसा बेदाग़ चाँद अगर किसी के हिस्से आए तो रोशनी से परे उसके हिस्से में पूरा चमचमाता हुआ एक जहा बस जाए ! ~ Viharika 💕🫠🤌
"पिता" ऊपरवाले ने कहेकर भेजा जाओ तुम, घर चलाओ और सबको संभालो.... लेकिन ये नहीं बताया की थोड़ी देर सांस लेलो और, जरा खुद की भी परवाह करलो.... ऊँगली पकड़ कर चल ना सिखाया था मुझे हर वक्त आगे बढ़ना सिखाया था, मेरे हर कदम पर मेरे साथ थे मेरे हर नए काम में मेरे पास थे..और होंगे भी आखिर बेटी जो थी उनकी हा हा परी नहीं हूँ और मुझे कहलवाना भी नहीं हैं वैसे भी परिया कहानी में होती है में तो हकीकत हूँ.... उनकी बेटी वैसे परीओ वाला कोई काम नहीं किया है मैंने पर उनकी लाडली हूँ कभी माँ की डांट से तो कभी भाई की डांट से बचाते जो है मुझे उनका स्वभाव अरे उसकी क्या बात करु में साठ के होकर हरकते सौलह की है हर बात में मजाक पूरा दिन हँसाना वैसे ये उनकी हर परेशानी कम करने की तरकीब है क्योंकि वह हमें परेशान नहीं देख सकते है कहानियो में और कविता में कहेते हे पिता अपने बच्चो के लिए सबकुछ कर सकते है हर दर्द सेह सकते हैं इस बात की सच्चाई मेरे पापा है वैसे सबके पापा बहोत अच्छे होते हैं लेकिन मेरे उन सबसे अच्छे हैं..... ये कविता मेरी बहोत सादी है इसमें कुछ गहेरे अल्फ़ाज़ नहीं है और मुझे लिखने भी नहीं है क्योंकि ये कविता मेरे पापा जैसी है एकदम सुलझी हुई और प्यारी सी....❤
तुम्हारे अंदर बसा एक नूर सा है , अदब तुम्हारी मानो कोई सुकून का एहसास … लफ़्ज़ों में बया तो में करने से रही , तुम्हें जो पन्नों में उतार करूँ तुम्हारी ही तारीफ़ , तो ये स्याही भी कम पड़ जाए … तुम सुंदरता का एक पहलू हो , तुम ही सबसे हसी हस्ती हो तारीफ़ों में तो ख़ैर लफ़्ज़ बहुत है आपके लिए बोलने को , पर लफ़्ज़ों की इस सीमित दुनिया में खुबसुरती का अपार समंदर हो तुम ! 🥰
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