Quotes by Pathak Ashish vilom in Bitesapp read free

Pathak Ashish vilom

Pathak Ashish vilom

@vilom
(1)

ज़िंदगी जब भी मिली तन्हा मिली हालात में,
तेरी यादें भी जलीं मेरी ही जज़्बात में।

दिल लगाया था जिसे ख़ुद से भी बढ़कर कभी,
वो मिला गैर की बाहों को साक्षात में।

हमने चाहा था जिसे रात-दिन सजदे में,
वो मिला शौक़ से पत्थर की सौग़ात में।

हमने तो ख्वाब भी छोड़े थे उसी के लिए,
वो मिला नींद में, लेकिन किसी और के साथ में।

इश्क़ में हार कर जीते हैं कई ज़ख़्म लिए,
हम भी शामिल हैं उसी लहू की बारात में।

अब तो अश्कों से ही दोस्ती सी हो गई,
क्या मिलेगा अब दवा, ग़म है जब सौगात में।

"विलोम" दर्द को भी अब गले से लगाता है,
आग जलती है मगर चैन है इस राख़ में।
🖋️🖋️ पाठक आशीष ’विलोम’

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चल पड़ा हूँ धूप में, साया कहीं मिलता नहीं,
ज़िन्दगी का रास्ता आसान तो चलता नहीं।

ठोकरें खाकर संभलना ही मेरा फ़र्ज़ था,
गिर के फिर उठना सिखा, यूँ तो कोई कहता नहीं।

हर कदम पर दर्द का एहसास गहरा हो गया,
मुस्कराहट के तले कितना दर्द है, दिखता नहीं।

भूख, नींदें, ख्वाब सब गिरवी पड़े हैं वक़्त से,
जिस्म जीता है मगर रूहों को कुछ मिलता नहीं।

कोशिशों की आंधियाँ जब तक न रुक जाएँ कभी,
तब तलक ये पाँव थक कर भी कहीं रुकता नहीं।

आज जो चेहरा चमकता है सितारों की तरह,
उसके पीछे दर्द है, जो कोई भी पढ़ता नहीं।
🖋️🖋️ पाठक आशीष ”विलोम”

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