The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
Title: Kitaabein To Thi... Par Soch Kahaan Thi? स्कूल की दीवारें ऊँची थीं, लेकिन सोच अब भी छोटी निकली। लड़कियाँ क्लास में थीं, पर सवाल पूछने की इजाज़त नहीं थी। लड़के ग़लती करें तो 'बच्चे हैं', लड़कियाँ मुस्कुराएं तो 'चरित्र' पर सवाल! शिक्षा दी गई, पर आत्मसम्मान नहीं सिखाया गया। क्यों? क्योंकि यहाँ अंक तो मिलते हैं, पर इंसान बनने की इजाज़त नहीं। Pawan, Ek Soch Jo Badalni Chahiye #Shiksha #Soch #Education #Truth #SocialIssue #Inspiration
मोर मुकुट सिर, हाथ में बंसी, वृंदावन की शोभा निराली। गोपियाँ रीझीं रास रचाए, मधुर हुई हर एक रसलीला खाली। कालिया नाग पर नृत्य रचाया, यमुना जल को पावन कर डाला। गिरधर बन गोवर्धन उठाया, इंद्र का अभिमान भी चकनाचूर डाला। माखन चुराया, मुरली बजाई, बाल लीलाएँ सबको भाईं। हर लीला में प्रेम छुपा था, कृष्ण ने दुनिया को भक्ति सिखाई।
कहानी :अडिग हरिया एक बार की बात है... एक छोटे से गाँव में हरिया नाम का एक गरीब किसान रहता था। उसके पास ज़मीन कम थी, बैल नहीं थे, और कभी-कभी पेट भर अनाज भी नहीं होता था। लेकिन हरिया मेहनती था और उसका दिल बहुत साफ था। हर रोज़ सूरज निकलने से पहले वो खेतों में काम करने चला जाता, बिना यह सोचे कि फल मिलेगा या नहीं। गाँव के लोग उसका मज़ाक उड़ाते — "इतनी मेहनत करके भी क्या मिला हरिया? ना बैल, ना पैसा, ना आराम।" हरिया मुस्कुरा कर कहता, "मेहनत मेरा धर्म है, और धरती मेरी माँ। अगर मैं ईमानदारी से बोऊँगा, तो एक न एक दिन धरती मुझे ज़रूर आशीर्वाद देगी।" एक साल गाँव में सूखा पड़ गया। कई किसानों ने खेत छोड़ दिए, लेकिन हरिया हर दिन अपने सूखे खेत में हल चलाता रहा। लोग फिर हँसे, “पानी नहीं है, फिर भी खेत जोत रहा है! पगला गया है!” पर हरिया का भरोसा अडिग था। कुछ हफ़्तों बाद एक रात ज़ोर की बारिश हुई — बादल ऐसे बरसे जैसे धरती की प्यास बुझा रहे हों। अगले कुछ महीनों में हरिया की फसल लहलहा उठी — गेहूं, बाजरा, चना — सब भरपूर। जहाँ बाकी खेत सूखे और खाली थे, वहाँ हरिया के खेत में हरियाली ही हरियाली थी। गाँव के लोग हैरान रह गए। वे हरिया के पास आए और बोले, “तू सही था हरिया। तूने उम्मीद और मेहनत दोनों को कभी छोड़ा नहीं।” हरिया मुस्कुराया और बोला, “जो किसान बारिश के भरोसे खेत छोड़ दे, वो किसान नहीं। असली किसान वो है जो बिना मौसम के भी बीज बोने का साहस रखे।” कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची मेहनत और विश्वास कभी खाली नहीं जाते। कठिन समय में भी अपने कर्तव्य पर डटे रहो, फल एक दिन ज़रूर मिलेगा।
Copyright © 2025, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser