hindi Best Short Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Short Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • अंतिम पौधा

    चौबीस वर्षीया रजनी की अजीबोगरीब हरकतों से उसकी माँ कमला सकते में थी। बहुत सारे अ...

  • मोर।

    (मोर) चिलचिलाती धूप में आये ढूँढने छाँव जब देखा मोर को तो याद आ गया गाँवमैं तो ब...

  • मेल - अंतिम भाग

    उन दिनों वक़्त ही तेज़ी से भाग रहा था। या बच्चें ही जल्दी बड़े हो गए थे। ये मुझे...

पद यात्रा भी जारी बहस भी जारी... By Yashvant Kothari

ललित –लेख पद यात्रा भी जारी  बहस भी जारी...... यशवंत कोठारी  पैदल चले याने पद यात्रा करे ,अपने चरणों को धरती पर उतारे याने डाउन टू अर्थ याने धरती से जुड़े ,राहुल जी इसी लम्बी पद यात...

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इत्र वाली किशोरी By Krishna Kaveri K.K.

इत्र वाली किशोरीचार्वी कबीलाई युवती थी , उम्र लगभग पंद्रह या सोलह वर्ष रही होगी। रंग , रूप से ज्यादा आकर्षक नहीं थी.. लेकिन उसकी आंखों में देखकर , उसके मन में क्या चल रहा है , सरलत...

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वरदान By Devendra Kumar Jaiswal

अभी कुछ दिन पहले मैंने अपने धर्मग्रंथों का हवाला देते हुए बताया था कि पुरातन काल में राक्षसों के पास ऐसे ऐसे वरदान होते थे जो एक नजर में उन्हें अमर बनाते थे..लेकिन, देवताओं ने... उ...

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अंतिम पौधा By राज कुमार कांदु

चौबीस वर्षीया रजनी की अजीबोगरीब हरकतों से उसकी माँ कमला सकते में थी। बहुत सारे अच्छे रिश्तों को वह ठुकरा चुकी थी। उसे मर्दों और शादी के नाम से भी चिढ थी। एक दिन उसने अपनी माँ कमला...

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मोर। By रामानुज दरिया

(मोर) चिलचिलाती धूप में आये ढूँढने छाँव जब देखा मोर को तो याद आ गया गाँवमैं तो बस यूं ही बालकनी में खड़ा था लेकिन अचानक से मेरी नजर जब उस तरफ गई तो मैं चौंकन्ना स रह गया ओ अदभुत नजा...

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मेल - अंतिम भाग By Jitin Tyagi

उन दिनों वक़्त ही तेज़ी से भाग रहा था। या बच्चें ही जल्दी बड़े हो गए थे। ये मुझे बिल्कुल पता नहीं चला। शायद मैं खुद में ज्यादा ही व्यस्त थी। और इसका कारण भी था। क्योंकि पापा की डेथ...

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एक अधूरी प्रेम कहानी - 4 By Akash Gupta

प्यार में इतना दर्द किसी को ना मिलेआदित्य, पढ़ने में थोड़ा average और लड़कियों के मामले में थोडा कच्चा था उसकी मुलाकात 11th स्टैंडर्ड में ख़ुशी से हुई | ख़ुशी, पढ़ने में अच्छी और अपने Fu...

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एक अक्षर का खेल By S Sinha

                                                      हास्य लघु कथा - एक अक्षर का खेल  तीन दिनों के बाद  दीपक और  सिया  की शादी की सिल्वर जुबली थी  . सिया  ने कहा “ क्यों न इस बार...

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गेहूं की तोंद By Devendra Kumar Jaiswal

‼️गेहूं की तोंद‼️गेंहू मूलतः भारत की फसल नहीं है अमेरिका के एक हृदय रोग विशेषज्ञ हैं डॉ विलियम डेविस...उन्होंने एक पुस्तक लिखी थी 2011 में जिसका नाम था "Wheat belly गेंहू की तोंद"....

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सुलोचना। By डॉ. शैलजा श्रीवास्तव

अरे राजेश आज बहुत खुश लग रहे हो, राजेश को जल्दी-जल्दी स्कूल का काम ख़त्म करते देख उनके परम मित्र औऱ स्कूल में उनके साथी गोविन्द शर्मा जी बोले. हाँ यार गोविंद आज खुशी अन्दर से बाहर न...

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हनुमान जी का कर्ज़ा By Devendra Kumar Jaiswal

*️ ... हनुमान जी का कर्ज़ा ... ️राम जी लंका पर विजय प्राप्त करके आए तो कुछ दिन पश्चात राम जी ने विभीषण, जामवंत, सुग्रीव और अंगद आदि को अयोध्या से विदा कर दिया। तो सब ने सोचा हनुमान...

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राष्ट्रीय पुरस्कार By Rohit Kumar Singh

उसे बडा गुस्सा आता,मन ही मन वो आग बबूला हो उठता था,जब उसकी पत्नी या जवान बच्चे उसे बेरोजगार कहते,,कभी सामने ,कभी पीठ पीछे किसी और के।अरे जीवन भर किसानी कर बच्चो को पढाया लिखाया, रह...

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बेटी पढाओ...दहेज मिटाओ By Devendra Kumar Jaiswal

मदन जी का लड़का है अशोक, एमएससी पास। नौकरी के लिए मदन जी निश्चिन्त थे, कहीं न कहीं तो जुगाड़ लग ही जायेगी। अब लड़के का बियाह कर देना चाहिए। सुरेश जी की लड़की है ममता, वह भी एमए पहले दर...

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सेवा का फल मीठा होता है By Devendra Kumar Jaiswal

कल बाज़ार में फल खरीदने गया,तो देखा कि एक फल की रेहड़ी की छत से एक छोटा सा बोर्ड लटक रहा था,उस पर मोटे अक्षरों से लिखा हुआ था…“घर मे कोई नहीं है, मेरी बूढ़ी माँ बीमार है,मुझे थोड़ी थोड़...

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स्कर्ट By Reshu Sachan

दिसम्बर का महीना उसपर से दिल्ली की कड़कड़ाती ठंड और  सुबह के छः बजे अचानक फ़ोन की घंटी बजे तो मिहित ही क्या किसी का भी मूड ख़राब हो जायेगा। आँखें खोले बिना, हाथ बढाकर फ़ोन उठाने से...

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बाबु-राही By JUGAL KISHORE SHARMA

बाबु-राहीमंजिल की तलाशसन् 1970 की बात, माइग्रेशन आम बात थी,पॉच-दस जमात पढा-क नहीं पढा, जानाही पड़ता परदेश रोजगार की तलाश में ।मिटटी-आबो-हवा की तजवीज का फला है,या जीवन ओ जिने कसावट क...

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अनसुलझा प्रश्न (भाग 21) By Kishanlal Sharma

65--त्रासदीमैं अपने लेखक मित्र से फोन पर बात कर रहा था।बातो ही बातो में वह बोले,"जिस पत्रिक में मेरी रचना छपती है,उसे फाड़कर फ़ाइल में लगा लेता हूं।और पत्रिका को रद्दी में बेच देता ह...

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द हूडि बॉय By Krishna Kaveri K.K.

द हूडि बॉयरोज की तरह उस रात भी मैं अपने कोचिंग से घर वापस जा रही थी। वैसे तो उस गली में अंधेरा और सन्नाटा रहता ही है.. लेकिन उस रात का अंधेरा कुछ ज्यादा ही अंधकार भरा लग रहा था। मे...

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हमसफ़र : हमदर्द By Reshu Sachan

वो रात कुछ यूँही सोते जागते गुजरी थी, आकर्ष और महक की। आकर्ष को दोपहर की फ़्लाइट से दिल्ली जाना था , जहां वह एक मल्टीनैशनल कम्पनी में नौकरी करता था । महक , उसकी पत्नी बनारस में एक...

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नियति By Asha Parashar

अचानक पंडाल का शोर थम गया और धीमी-धीमी खुसुर-पुसुर होने लगी, ”बड़ी मां आ गई, बड़ी मां आ गई।“ श्रोताओं से काफी ऊँचाई पर सुसज्जित मंच पर सफेद धोती गर्दन से पांव तक लपेटे, क...

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परिवर्तन ही संसार का नियम है By Jas lodariya

जीवन के संग्राम की महत्वपूर्ण सीढ़ी है परिवर्तन... दोस्तों इस जीवन में वही आगे बढ़ते हैं जो परिवर्तन की प्रक्रिया से भयभीत नहीं होते। वे भली भाँति जानते हैं कि स्थिरता ही जड़ता, नी...

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कुल देवी By Rj love j

ये कहानी आज की नहीं सादिया से चली आ रही है!एक ऐसे कुल की देवी की जो हमेशा उस परिवार की रक्षा करते हुए आ रही है इस कहानी की शुरवात यूपी के मऊ जिला के एक छोटे से कस्बे से हुई! जहा चौ...

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गुलाबी नोट By राज कुमार कांदु

रामू एक किसान था। इस साल पड़े सूखे ने उसके खेतों के साथ ही उसे भी सूखा दिया था, लेकिन वह हिम्मती और मेहनती था। आत्महत्या जैसा कायराना विचार भी उसके मन में नहीं आया और अपनी पत्नी और...

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बुढियॉं और मॉं By JUGAL KISHORE SHARMA

मां के स्वरूप की व्याख्या अनंत काल से चिरस्थाई जीवन्त के अनन्त सोपान है, है ही कमाल भी, सत्य, शाश्वत, चिरन्तर प्रखर वैचारिकी पर सोच पर बेलगाम विस्तार से परे रह कर भी! हर, समय, देश-...

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गुरु जी आशीर्वाद बनाये रखना. By Piyush Goel

बात कुछ साल पुरानी हैं रमेश के पिताजी का ट्रांसफ़र सहारनपुर से मथुरा के एक गाँव चौमुहां में हो गया था. रमेश उस समय कक्षा ६ का विधार्थी था जब रमेश ८ वी कक्षा में आ गया तो रमेश के पि...

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ऑनलाइन दोस्ती, प्यार और फिर ब्रेक अप By Anurag Basu

आज करते है.. कुछ प्यार ऑनलाइन प्यार ,दोस्ती और ब्रेक अप की , बाते....जो की आजकल बहोत ही...आम बात हो गई है।.. आजकल बहोत ही आसानी से लोगो को लव हो जाता है.या यू कहे कि, अट्रैक्शन हो...

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आज का रावण By राज कुमार कांदु

'जय श्री राम ' का घोष अवकाश में गूँज उठा और खुशी और कौतूहल से भरा रावण धरती के उस हिस्से पर आ धमका जहाँ से यह घोषणा अभी भी गाहे बगाहे गूँज रही थी। इस वक्त रावण सूक्ष्म रूप...

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जिज्ञासा--(अज्ञेय की लघुकथा) By Saroj Verma

जिज्ञासा: अज्ञेय की लघु कथा ईश्वर ने सृष्टि की रचना की. सब ओर निराकार शून्य था, और अनन्त आकाश में अन्धकार छाया हुआ था. ईश्वर ने कहा,‘प्रकाश हो’ और प्रकाश हो गया. उसके आलोक में ईश्व...

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रहने वाली वो परी थी ख़्वाबों के शहर में By F. S

रहने वाली वो परी थी ख़्वाबों के शहर में, शहर में था उसका एक शीशे का महल। उस महल में देखा करती थी सतरंगी सपने, उसे क्या पता था सपने झूठे निकलेंगे सारे। हुआ यूँ कि एक दानव की नज़र पड़...

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बरसात की रात By ब्राह्मण सुधांशु Sudh

सभी पाठकों से अनुरोध है यह कहानी मेरी कल्पना पर आधारित है इसका किसी भी व्यक्ति विशेष से कोई भी संबंध नहीं हैं अतः इसे अन्यथा ना ले और कहानी द्वारा खुद का मनोरंजन होने दें!अमोल जो क...

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सुबह का भुला.. By डॉ. शैलजा श्रीवास्तव

"अब बहुत हुआ बस, अब नहीं सह सकती मैं! हर बात में मनमानी, हर बात में जिद| अब और नहीं सहना उनकी तानाशाही| पिता हैं तो क्या हर वक़्त सिर्फ रोकते टोकते रहेंगे? कभी खुल के जीने नहीं देंग...

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घातिनी By Deepak sharma

’कौन हो तुम?’’ कस्बापुर की मेरी जीजी के घर का दरवाजा खोलने वाली की बेबात मुस्कराहट मुझे खल गयी। उसके दिखाव-बनाव की तड़क-भड़क भी उस समय पर मुझे असंगत लगी। अभी पिछले ही दिन जीजी अपने प...

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आधुनिकता By राज कुमार कांदु

शेठ जमनादास के घर पार्टी अपने पूरे शबाब पर थी। लॉन में एक तरफ खाने पीने की चीजों के स्टॉल लगे हुए थे। एक कोने में बार का भी स्टॉल लगा हुआ था। सामने मंच पर ऑर्केस्ट्रा वाले कोई मीठी...

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आँख की पुतली By Deepak sharma

’’कैसे हैं, बाबूजी ?’’ बुध के बुध की शाम वृंदा का सात, सवा-सात के बीच फोन आना तय रहता है। ’’तुम्हें एक चिट्ठी लिखी है।’’ तोते की तरह...

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नए आगंतुक By SUNIL ANJARIA

नए आगंतुकशाम ढल रही थी। सभी वृक्ष आपस में क्षेमकुशल पूछते सान्निध्य का आनंद ले रहे थे। “तेरे पर खिला फूल किसी मानव स्त्री के ज़ुडे में पिरोया हो ऐसी शोभा देता है। तेरी ये मादक सुगंध...

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Robert In Pannah By JUGAL KISHORE SHARMA

कहानी के पात्र,चरित्र,घटनाए काल्पनिक है, मनोरंजन उद्धेश्य हेतुक रचना The Robert Rays Among The Operation Enduring Freedom – Afghanistan   यह उपन्यास - काल्पनिक रचना से लबरेज जिसमें...

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स्मृतिबद्ध By Deepak sharma

आपरेशन थिएटर में सबसे पहले मैं दाखिल होती हूं। डाक्टरों में। ’’रेडी सिस्टर?’’ ड्रिप वाली नर्स से मैं पूछती हूं। ’’येस डाक्टर, ’’पैन्...

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भूली बिसरी खट्टी मीठी यादे - 16 By Kishanlal Sharma

स्कूल प्रशासन ने पोस्टिंग का फार्मूला निकाला जो परीक्षा में फर्स्ट और सेकंड आये थे।उन्हें बुलाया गया।फर्स्ट नीमच का प्रेम और सेकंड मैं आया था।हम दोनों ने कोटा मण्डल चुन लिया।बाकी क...

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दुलारा By Deepak sharma

प्री-नर्सरी का यह स्कूल इस वर्ष अपनी रजत-जयन्ती मनाने जा रहा है और हम ने ’निम्मो’ के नाम पर एक विशष पुरस्कार रखा है। सब से ज्यादा चुस्त और कर्मठ बच्चे के लिए। यह स्कूल...

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काॅलेज टाईम By Naveen RG

12वी कक्षा कि परीक्षा थी। और परीक्षा केंद्र अलग काॅलेज में लगा जहां मैं किसी को जानता नहीं था। परीक्षा का पहला दिन था तो मैं समय से पहले ही अपनी मेज़ पर जाकर बैठ गया था और आसपास बै...

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Malaal By Tasneem Kauser

मुहब्बत क्या ऐसी होती? जो मैं देख रही हूँ।या ऐसी, जो मै महसूस कर रही हूँ?ऐसी मुहब्बत जो मेरे दिमाग़ को शील किये हुआ है। मेरी सोचने समझने कि ताक़त मुझसे छीन चुका है। मुझे महसूस होता...

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घिराव By Deepak sharma

बज रहे मोबाइल की स्क्रीन ’सिस्टर’ दिखाती है। अंदर गर्भवती मेरी पत्नी अपनी डॉक्टर से अपना चेक-अप करवा रही है और मेरी माँ और बहन के फोन पर न केवल मेरी ही खबर लेती है बल्क...

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माँ का रिश्ता By मानव सिंह राणा सुओम

माँ तुम चलो मैं रोज रोज के हालात से परेशान हो गया हूँ। तुम्हें वृद्धाश्रम छोड़ आता हूँ।" आदेश ने अपनी माँ से झुंझलाते हुए कहा।माँ और पत्नी सुनीता की रोज की झिक झिक से परेशान हो गया...

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गर्मी की छुट्टियाँ! By rajesh sahay

गर्मियों की छुट्टियाँ भोर हो आयी थी । ट्रेन धीरे धीरे जंक्शन की ओर बढ़ रही थी । इसी तरह कुछ ४५ साल पहले यह ट्रेन रेंगते हुए सुबह पटना पहुँच गयीथी। पापा का चेहरा मुझे याद आ गया । सब...

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फाँसी काठ By Deepak sharma

मध्यमवर्गीय मेरे पिता एक लम्बी रेंग के बाद भी जिस दुनिया के पड़ोस तक न पहुँच सके थे, उस दुनिया में आई.पी.एस. की प्रवेश परीक्षा में प्राप्त हुई मेरी सफलता मुझे एक ही छलाँग में उतार ल...

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पद यात्रा भी जारी बहस भी जारी... By Yashvant Kothari

ललित –लेख पद यात्रा भी जारी  बहस भी जारी...... यशवंत कोठारी  पैदल चले याने पद यात्रा करे ,अपने चरणों को धरती पर उतारे याने डाउन टू अर्थ याने धरती से जुड़े ,राहुल जी इसी लम्बी पद यात...

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इत्र वाली किशोरी By Krishna Kaveri K.K.

इत्र वाली किशोरीचार्वी कबीलाई युवती थी , उम्र लगभग पंद्रह या सोलह वर्ष रही होगी। रंग , रूप से ज्यादा आकर्षक नहीं थी.. लेकिन उसकी आंखों में देखकर , उसके मन में क्या चल रहा है , सरलत...

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वरदान By Devendra Kumar Jaiswal

अभी कुछ दिन पहले मैंने अपने धर्मग्रंथों का हवाला देते हुए बताया था कि पुरातन काल में राक्षसों के पास ऐसे ऐसे वरदान होते थे जो एक नजर में उन्हें अमर बनाते थे..लेकिन, देवताओं ने... उ...

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अंतिम पौधा By राज कुमार कांदु

चौबीस वर्षीया रजनी की अजीबोगरीब हरकतों से उसकी माँ कमला सकते में थी। बहुत सारे अच्छे रिश्तों को वह ठुकरा चुकी थी। उसे मर्दों और शादी के नाम से भी चिढ थी। एक दिन उसने अपनी माँ कमला...

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मोर। By रामानुज दरिया

(मोर) चिलचिलाती धूप में आये ढूँढने छाँव जब देखा मोर को तो याद आ गया गाँवमैं तो बस यूं ही बालकनी में खड़ा था लेकिन अचानक से मेरी नजर जब उस तरफ गई तो मैं चौंकन्ना स रह गया ओ अदभुत नजा...

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मेल - अंतिम भाग By Jitin Tyagi

उन दिनों वक़्त ही तेज़ी से भाग रहा था। या बच्चें ही जल्दी बड़े हो गए थे। ये मुझे बिल्कुल पता नहीं चला। शायद मैं खुद में ज्यादा ही व्यस्त थी। और इसका कारण भी था। क्योंकि पापा की डेथ...

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एक अधूरी प्रेम कहानी - 4 By Akash Gupta

प्यार में इतना दर्द किसी को ना मिलेआदित्य, पढ़ने में थोड़ा average और लड़कियों के मामले में थोडा कच्चा था उसकी मुलाकात 11th स्टैंडर्ड में ख़ुशी से हुई | ख़ुशी, पढ़ने में अच्छी और अपने Fu...

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एक अक्षर का खेल By S Sinha

                                                      हास्य लघु कथा - एक अक्षर का खेल  तीन दिनों के बाद  दीपक और  सिया  की शादी की सिल्वर जुबली थी  . सिया  ने कहा “ क्यों न इस बार...

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गेहूं की तोंद By Devendra Kumar Jaiswal

‼️गेहूं की तोंद‼️गेंहू मूलतः भारत की फसल नहीं है अमेरिका के एक हृदय रोग विशेषज्ञ हैं डॉ विलियम डेविस...उन्होंने एक पुस्तक लिखी थी 2011 में जिसका नाम था "Wheat belly गेंहू की तोंद"....

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सुलोचना। By डॉ. शैलजा श्रीवास्तव

अरे राजेश आज बहुत खुश लग रहे हो, राजेश को जल्दी-जल्दी स्कूल का काम ख़त्म करते देख उनके परम मित्र औऱ स्कूल में उनके साथी गोविन्द शर्मा जी बोले. हाँ यार गोविंद आज खुशी अन्दर से बाहर न...

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हनुमान जी का कर्ज़ा By Devendra Kumar Jaiswal

*️ ... हनुमान जी का कर्ज़ा ... ️राम जी लंका पर विजय प्राप्त करके आए तो कुछ दिन पश्चात राम जी ने विभीषण, जामवंत, सुग्रीव और अंगद आदि को अयोध्या से विदा कर दिया। तो सब ने सोचा हनुमान...

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राष्ट्रीय पुरस्कार By Rohit Kumar Singh

उसे बडा गुस्सा आता,मन ही मन वो आग बबूला हो उठता था,जब उसकी पत्नी या जवान बच्चे उसे बेरोजगार कहते,,कभी सामने ,कभी पीठ पीछे किसी और के।अरे जीवन भर किसानी कर बच्चो को पढाया लिखाया, रह...

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बेटी पढाओ...दहेज मिटाओ By Devendra Kumar Jaiswal

मदन जी का लड़का है अशोक, एमएससी पास। नौकरी के लिए मदन जी निश्चिन्त थे, कहीं न कहीं तो जुगाड़ लग ही जायेगी। अब लड़के का बियाह कर देना चाहिए। सुरेश जी की लड़की है ममता, वह भी एमए पहले दर...

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सेवा का फल मीठा होता है By Devendra Kumar Jaiswal

कल बाज़ार में फल खरीदने गया,तो देखा कि एक फल की रेहड़ी की छत से एक छोटा सा बोर्ड लटक रहा था,उस पर मोटे अक्षरों से लिखा हुआ था…“घर मे कोई नहीं है, मेरी बूढ़ी माँ बीमार है,मुझे थोड़ी थोड़...

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स्कर्ट By Reshu Sachan

दिसम्बर का महीना उसपर से दिल्ली की कड़कड़ाती ठंड और  सुबह के छः बजे अचानक फ़ोन की घंटी बजे तो मिहित ही क्या किसी का भी मूड ख़राब हो जायेगा। आँखें खोले बिना, हाथ बढाकर फ़ोन उठाने से...

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बाबु-राही By JUGAL KISHORE SHARMA

बाबु-राहीमंजिल की तलाशसन् 1970 की बात, माइग्रेशन आम बात थी,पॉच-दस जमात पढा-क नहीं पढा, जानाही पड़ता परदेश रोजगार की तलाश में ।मिटटी-आबो-हवा की तजवीज का फला है,या जीवन ओ जिने कसावट क...

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अनसुलझा प्रश्न (भाग 21) By Kishanlal Sharma

65--त्रासदीमैं अपने लेखक मित्र से फोन पर बात कर रहा था।बातो ही बातो में वह बोले,"जिस पत्रिक में मेरी रचना छपती है,उसे फाड़कर फ़ाइल में लगा लेता हूं।और पत्रिका को रद्दी में बेच देता ह...

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द हूडि बॉय By Krishna Kaveri K.K.

द हूडि बॉयरोज की तरह उस रात भी मैं अपने कोचिंग से घर वापस जा रही थी। वैसे तो उस गली में अंधेरा और सन्नाटा रहता ही है.. लेकिन उस रात का अंधेरा कुछ ज्यादा ही अंधकार भरा लग रहा था। मे...

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हमसफ़र : हमदर्द By Reshu Sachan

वो रात कुछ यूँही सोते जागते गुजरी थी, आकर्ष और महक की। आकर्ष को दोपहर की फ़्लाइट से दिल्ली जाना था , जहां वह एक मल्टीनैशनल कम्पनी में नौकरी करता था । महक , उसकी पत्नी बनारस में एक...

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नियति By Asha Parashar

अचानक पंडाल का शोर थम गया और धीमी-धीमी खुसुर-पुसुर होने लगी, ”बड़ी मां आ गई, बड़ी मां आ गई।“ श्रोताओं से काफी ऊँचाई पर सुसज्जित मंच पर सफेद धोती गर्दन से पांव तक लपेटे, क...

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परिवर्तन ही संसार का नियम है By Jas lodariya

जीवन के संग्राम की महत्वपूर्ण सीढ़ी है परिवर्तन... दोस्तों इस जीवन में वही आगे बढ़ते हैं जो परिवर्तन की प्रक्रिया से भयभीत नहीं होते। वे भली भाँति जानते हैं कि स्थिरता ही जड़ता, नी...

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कुल देवी By Rj love j

ये कहानी आज की नहीं सादिया से चली आ रही है!एक ऐसे कुल की देवी की जो हमेशा उस परिवार की रक्षा करते हुए आ रही है इस कहानी की शुरवात यूपी के मऊ जिला के एक छोटे से कस्बे से हुई! जहा चौ...

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गुलाबी नोट By राज कुमार कांदु

रामू एक किसान था। इस साल पड़े सूखे ने उसके खेतों के साथ ही उसे भी सूखा दिया था, लेकिन वह हिम्मती और मेहनती था। आत्महत्या जैसा कायराना विचार भी उसके मन में नहीं आया और अपनी पत्नी और...

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बुढियॉं और मॉं By JUGAL KISHORE SHARMA

मां के स्वरूप की व्याख्या अनंत काल से चिरस्थाई जीवन्त के अनन्त सोपान है, है ही कमाल भी, सत्य, शाश्वत, चिरन्तर प्रखर वैचारिकी पर सोच पर बेलगाम विस्तार से परे रह कर भी! हर, समय, देश-...

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गुरु जी आशीर्वाद बनाये रखना. By Piyush Goel

बात कुछ साल पुरानी हैं रमेश के पिताजी का ट्रांसफ़र सहारनपुर से मथुरा के एक गाँव चौमुहां में हो गया था. रमेश उस समय कक्षा ६ का विधार्थी था जब रमेश ८ वी कक्षा में आ गया तो रमेश के पि...

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ऑनलाइन दोस्ती, प्यार और फिर ब्रेक अप By Anurag Basu

आज करते है.. कुछ प्यार ऑनलाइन प्यार ,दोस्ती और ब्रेक अप की , बाते....जो की आजकल बहोत ही...आम बात हो गई है।.. आजकल बहोत ही आसानी से लोगो को लव हो जाता है.या यू कहे कि, अट्रैक्शन हो...

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आज का रावण By राज कुमार कांदु

'जय श्री राम ' का घोष अवकाश में गूँज उठा और खुशी और कौतूहल से भरा रावण धरती के उस हिस्से पर आ धमका जहाँ से यह घोषणा अभी भी गाहे बगाहे गूँज रही थी। इस वक्त रावण सूक्ष्म रूप...

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जिज्ञासा--(अज्ञेय की लघुकथा) By Saroj Verma

जिज्ञासा: अज्ञेय की लघु कथा ईश्वर ने सृष्टि की रचना की. सब ओर निराकार शून्य था, और अनन्त आकाश में अन्धकार छाया हुआ था. ईश्वर ने कहा,‘प्रकाश हो’ और प्रकाश हो गया. उसके आलोक में ईश्व...

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रहने वाली वो परी थी ख़्वाबों के शहर में By F. S

रहने वाली वो परी थी ख़्वाबों के शहर में, शहर में था उसका एक शीशे का महल। उस महल में देखा करती थी सतरंगी सपने, उसे क्या पता था सपने झूठे निकलेंगे सारे। हुआ यूँ कि एक दानव की नज़र पड़...

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बरसात की रात By ब्राह्मण सुधांशु Sudh

सभी पाठकों से अनुरोध है यह कहानी मेरी कल्पना पर आधारित है इसका किसी भी व्यक्ति विशेष से कोई भी संबंध नहीं हैं अतः इसे अन्यथा ना ले और कहानी द्वारा खुद का मनोरंजन होने दें!अमोल जो क...

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सुबह का भुला.. By डॉ. शैलजा श्रीवास्तव

"अब बहुत हुआ बस, अब नहीं सह सकती मैं! हर बात में मनमानी, हर बात में जिद| अब और नहीं सहना उनकी तानाशाही| पिता हैं तो क्या हर वक़्त सिर्फ रोकते टोकते रहेंगे? कभी खुल के जीने नहीं देंग...

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घातिनी By Deepak sharma

’कौन हो तुम?’’ कस्बापुर की मेरी जीजी के घर का दरवाजा खोलने वाली की बेबात मुस्कराहट मुझे खल गयी। उसके दिखाव-बनाव की तड़क-भड़क भी उस समय पर मुझे असंगत लगी। अभी पिछले ही दिन जीजी अपने प...

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आधुनिकता By राज कुमार कांदु

शेठ जमनादास के घर पार्टी अपने पूरे शबाब पर थी। लॉन में एक तरफ खाने पीने की चीजों के स्टॉल लगे हुए थे। एक कोने में बार का भी स्टॉल लगा हुआ था। सामने मंच पर ऑर्केस्ट्रा वाले कोई मीठी...

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आँख की पुतली By Deepak sharma

’’कैसे हैं, बाबूजी ?’’ बुध के बुध की शाम वृंदा का सात, सवा-सात के बीच फोन आना तय रहता है। ’’तुम्हें एक चिट्ठी लिखी है।’’ तोते की तरह...

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नए आगंतुक By SUNIL ANJARIA

नए आगंतुकशाम ढल रही थी। सभी वृक्ष आपस में क्षेमकुशल पूछते सान्निध्य का आनंद ले रहे थे। “तेरे पर खिला फूल किसी मानव स्त्री के ज़ुडे में पिरोया हो ऐसी शोभा देता है। तेरी ये मादक सुगंध...

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Robert In Pannah By JUGAL KISHORE SHARMA

कहानी के पात्र,चरित्र,घटनाए काल्पनिक है, मनोरंजन उद्धेश्य हेतुक रचना The Robert Rays Among The Operation Enduring Freedom – Afghanistan   यह उपन्यास - काल्पनिक रचना से लबरेज जिसमें...

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स्मृतिबद्ध By Deepak sharma

आपरेशन थिएटर में सबसे पहले मैं दाखिल होती हूं। डाक्टरों में। ’’रेडी सिस्टर?’’ ड्रिप वाली नर्स से मैं पूछती हूं। ’’येस डाक्टर, ’’पैन्...

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भूली बिसरी खट्टी मीठी यादे - 16 By Kishanlal Sharma

स्कूल प्रशासन ने पोस्टिंग का फार्मूला निकाला जो परीक्षा में फर्स्ट और सेकंड आये थे।उन्हें बुलाया गया।फर्स्ट नीमच का प्रेम और सेकंड मैं आया था।हम दोनों ने कोटा मण्डल चुन लिया।बाकी क...

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दुलारा By Deepak sharma

प्री-नर्सरी का यह स्कूल इस वर्ष अपनी रजत-जयन्ती मनाने जा रहा है और हम ने ’निम्मो’ के नाम पर एक विशष पुरस्कार रखा है। सब से ज्यादा चुस्त और कर्मठ बच्चे के लिए। यह स्कूल...

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काॅलेज टाईम By Naveen RG

12वी कक्षा कि परीक्षा थी। और परीक्षा केंद्र अलग काॅलेज में लगा जहां मैं किसी को जानता नहीं था। परीक्षा का पहला दिन था तो मैं समय से पहले ही अपनी मेज़ पर जाकर बैठ गया था और आसपास बै...

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Malaal By Tasneem Kauser

मुहब्बत क्या ऐसी होती? जो मैं देख रही हूँ।या ऐसी, जो मै महसूस कर रही हूँ?ऐसी मुहब्बत जो मेरे दिमाग़ को शील किये हुआ है। मेरी सोचने समझने कि ताक़त मुझसे छीन चुका है। मुझे महसूस होता...

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घिराव By Deepak sharma

बज रहे मोबाइल की स्क्रीन ’सिस्टर’ दिखाती है। अंदर गर्भवती मेरी पत्नी अपनी डॉक्टर से अपना चेक-अप करवा रही है और मेरी माँ और बहन के फोन पर न केवल मेरी ही खबर लेती है बल्क...

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माँ का रिश्ता By मानव सिंह राणा सुओम

माँ तुम चलो मैं रोज रोज के हालात से परेशान हो गया हूँ। तुम्हें वृद्धाश्रम छोड़ आता हूँ।" आदेश ने अपनी माँ से झुंझलाते हुए कहा।माँ और पत्नी सुनीता की रोज की झिक झिक से परेशान हो गया...

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गर्मी की छुट्टियाँ! By rajesh sahay

गर्मियों की छुट्टियाँ भोर हो आयी थी । ट्रेन धीरे धीरे जंक्शन की ओर बढ़ रही थी । इसी तरह कुछ ४५ साल पहले यह ट्रेन रेंगते हुए सुबह पटना पहुँच गयीथी। पापा का चेहरा मुझे याद आ गया । सब...

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फाँसी काठ By Deepak sharma

मध्यमवर्गीय मेरे पिता एक लम्बी रेंग के बाद भी जिस दुनिया के पड़ोस तक न पहुँच सके थे, उस दुनिया में आई.पी.एस. की प्रवेश परीक्षा में प्राप्त हुई मेरी सफलता मुझे एक ही छलाँग में उतार ल...

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