hindi Best Short Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Short Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • जेन ऑस्टिन - 4

    चैप्टर- 4प्रकृति गर्मियों की विदाई की तैयारी कर रही थी और सर्दियों के आगमन की प्...

  • बाबुली चिड़िया का दोस्त।

    बाबुली चिड़िया का सच्चा दोस्त।एक गांव में एक छोटा सा लडका राजू रहता था। वह अपने म...

  • नैनी 

    अलका प्राथमिक विद्यालय में शिक्षिका थी उसके पति सौरभ सरकारी कार्यालय में कार्यरत...

जेन ऑस्टिन - 4 By Jitin Tyagi

चैप्टर- 4प्रकृति गर्मियों की विदाई की तैयारी कर रही थी और सर्दियों के आगमन की प्रतीक्षारत थी। कैलेंडर की भाषा में अक्टूबर का महीना शुरू हो चुका था। बाज़ार धीरे-धीरे खुद को सजाने को...

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बाबुली चिड़िया का दोस्त। By Akshika Aggarwal

बाबुली चिड़िया का सच्चा दोस्त।एक गांव में एक छोटा सा लडका राजू रहता था। वह अपने माँ बाबुजी के साथ एक बडे से घर मे रहता था। उसके घर मे सारी सुख सुविधाएं उपलब्ध थी पर उसका कोई दोस्त न...

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नैनी  By Ratna Pandey

अलका प्राथमिक विद्यालय में शिक्षिका थी उसके पति सौरभ सरकारी कार्यालय में कार्यरत थे । उनका चार वर्ष का बेटा था, जो सीनियर के जी में जाता था । दोपहर बारह बजे उनका बेटा निवान स्कूल स...

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पंखा By Deepak sharma

दीपक शर्मा ’’कहो भई आलोक ?... कहो भई प्रकाश ? कहाँ हो ?’’ फूफाजी ने सीढ़ियों से हमें पुकारा है । बिजली की तार के थोकदार व्यापारी, हमारे बाबूजी की दुकान के ऐन...

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आखिर क्यों? - पापा क्यों नही कर सकते? By Ragini Pathak

"राशि !तुम किचन के काम निपटा लो। मैं अनाया को नहला कर तैयार कर देता हूं। वरना लेट हो जाएगा, मम्मी पापा आते ही होंगे" शोभित ने अपनी पत्नी से कहा "शोभित! लेकिन एक बात मेरी ध्यान रखना...

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तुलसी By kirti chaturvedi

इस सत्य प्रसंग की चर्चा यहां करने का उदृेश्य यह कतई नहीं है कि मेरे द्वारा किसी की मदद की गई बल्कि यह बताना है कि यदि आपके आसपास किसी दुखी व्यक्ति के साथ आप मदद और सहानुभूति का रवै...

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अच्छे हाथों में By Deepak sharma

दीपक शर्मा ‘धुआं ।’ क्या मेरे मुंह ने धुआं उगला था ? हे बजरंगबली ! मैं कांप गया । नहीं यह सच नहीं था । यह सच नहीं हो सकता था । मेरी भक्ति में खोट? वह जरूर सपना रहा होगा...

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नीम का पेड़ (भाग 17) By Kishanlal Sharma

54--तरकीब"तो वापस जा रहे हो"?डेविड ने रमन से पूछा था।"जाना पड़ेगा,"रमन बोला,"दो साल के वर्किंग वीजा पर यहाँ आया था।समय पूरा हो रहा है।""अगर जाने का मन न हो तो मत जाओ।यहां रुक जाओ।""...

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नेक लड़की By Shiv Shanker Gahlot

नेक लड़की पुराने शहर की गलियां बड़ी संकरी थीं । गलियों मे इटों के ऊबड़ खाबड़ खड़ंजे डले थे जिन पर कहीं भी पांव ऊपर नीचे पड़ जाता था । दोनो ओर ऊँची ऊंची हवेलियां थी जो लखौरी ईंटों स...

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पहली मुलाक़ात By Samriti

दोपहर के २ बज रहे थे...दरवाज़ा खुला...- ओ सिया...तुम अकेले ही आयी हो???वो कॉलेज से घर आयी ही थी कि माँ ने सवाल शुरू कर दिए...पसीने की बूँदे माथे से लुढ़कती हुई ज़मीन पर गिर रही थी....

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राहगीर By S Bhagyam Sharma

तमिल कहानी उमा जानकीरामण द्वारा लिखी व एस.भाग्यम शर्मा द्वारा अनूदित वेंकटशन मदुराई में उतर कर, दो घण्टे बस में सफर कर तूतूकुडी में आकर उतरे। उनका मन व शरीर दोनों इस शहर की मिट्टी...

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सब गलत तो नहीं By Prabodh Kumar Govil

मैंने नाश्ता करने के बाद निमंत्रण- पत्र एक बार फ़िर देखा। कार्यक्रम ग्यारह बजे से था। ग्यारह बजे स्वागत, ग्यारह दस पर सरस्वती वंदना,ग्यारह पंद्रह से अतिथि परिचय, ... आदि -आदि। - चा...

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अनसुलझा प्रश्न (भाग 9) By Kishanlal Sharma

27--अधूरा सपना"क्यो नही?"पत्नी की बात सुनकर प्रवीण बोला,"हर विवाहिता मां बनना चाहती है--और तुम नहीं।"""मैं भी मां बनूंगी।लेकिन अभी नही।अभी हमारी शादी को सिर्फ एक साल हुआ है।अभी स...

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प्रिय नारायणन .... By S Bhagyam Sharma

उमा जानकीरामन के तमिल कहानी का अनुवाद एस. भाग्यम शर्मा नारायणन जल्दी दफ्तर जाने के लिये तैयार हो रहा था तब ही उसके अम्मा की चिट्टी आई। नीले रंग के इन्लैंड बहुत छाटे-छोटे अक्षरों मे...

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अवधारणा By राज कुमार कांदु

सविता बड़ी देर से निर्धारित जगह पर उसका इंतजार कर रही थी और बेचैनी से बार बार मोबाईल में समय देख रही थी। इस बेचैनी के आलम में भी पिछले दिनों घटित घटनाओं को याद कर उसके चेहरे पर बरबस...

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अम्मा ! मैंने झूठ बोल दिया By S Bhagyam Sharma

उमा जानकीरामन के तमिल कहानी का अनुवाद एस. भाग्यम शर्मा अलार्म जोर से बजा तो उसे बंद कर, ज्योति करवट लेकर लेट गई। पता नहीं क्यों आज बिस्तर से उठने का मन नहीं हो रहा था। कल रात अनु ब...

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जहाज By S Bhagyam Sharma

उमा जानकीरामन के तमिल कहानी का अनुवाद एस. भाग्यम शर्मा दिवाकर फैक्टरी की बस आते ही आराम से चढ़ गया। बस में तीसरी लाइन की खिड़की के पास जहां हमेशा बैठता है वहीं बैठ गया। प्राइवेट बस म...

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वह जो नहीं कहा समीक्षा - उठो नीलांजन समीक्षा By sneh goswami

हिंदी और पंजाबी के वरिष्ठ लेखक श्री ओम प्रकाश गासो के आशीर्वचन उठो नीलांजन के लिए जो आज से दो साल पहले उनवान प्रकाशन से छपी मधुर स्पर्श को प्रस्तुत करती रचनाएं -शुभकामना ओम प्रकाश...

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धागा By S Bhagyam Sharma

मइंलापुर का सप्ताहिक हाट जहाँ लगता है वहीं एक तरफ कोने के घर में ही गणेश रहता है। आज गणेश विशेष परेशान था। अपने अंगोछे को झटका कर कंधे पर डाल, यहां वहां घूम रहा था। सुबह साढ़े दस बज...

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सचमुच की लघुकथाएं By Prabodh Kumar Govil

"अंगारे और सितारे"जब दुनिया अच्छी तरह बन गई तो सब काम सलीके से शुरू हो गए।घर घर रोटी बनने लगी।जहां घर नहीं थे, वहां भी रोटी बनती। पेड़ के नीचे, सड़क के किनारे,दो ईंट पत्थर जोड़ कर...

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वन्या (जंगल राजकुमारी) - 1 By Pooja Singh

ये कहानी है जंगल राजकुमारी वन्या की .....वन्या वनराजा और वनरानी की सबसे लाड़ली थी लेकिन उससे भी ज्यादा वो पूरे वनलत्तिका राज्य की धड़कन है उसके रोने से पूरे राज्य में हलचल मच जाती...

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चूक (लघुकथा) By Prabodh Kumar Govil

पूरी धरती पर तहलका सा मचा हुआ था। एक विषाणु और इंसानों के बीच जंग छिड़ी हुई थी। एक ओर एक विषाणु के रूप में ख़तरनाक रक्तबीज था और दूसरी ओर मनुष्य जाति। विषाणु चप्पे- चप्पे पर फ़ैल क...

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आखि़री मील By Deepak sharma

तरबूज लाऊं क्या मां. पिछली रात ही से तेज़ गरमी महसूस कर रही थीं और उन्होंने दूध तक न पिया था । ठीक है. ले आओ. मां ने कोई उत्साह न दिखाया । तरबूज़ पिछली शाम भाई लाया था । मां को ठंडा...

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भाईबन्द By Deepak sharma

’प्रभा जी हैं ?’ दरवाज़े की घंटी बजाने वाला रमेश मिश्र है । लड़की को पूछ रहा है । उसके पीछे एक ठेले पर पंजर में से एक फ्रि़ज झांक रहा है । *नहा रही है’, मैं खांसती...

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विद्या By Prabodh Kumar Govil

विद्या ददाति विनयम् अबकी बार बूढ़ा धोबी जब उनके कपड़े प्रेस करके लाया, तो उसके साथ एक किशोर लड़का भी था। बूढ़ा बोला-"अबसे आपके पास ये आया करेगा, ये आपके कपड़े भी ले आएगा, और आप इसे थोड़ी...

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टक्कर By Prabodh Kumar Govil

टक्कर महारानी से ?आम तौर पर वह पृथ्वी की हलचल देख कर प्रफ़ुल्लित हुआ करती थी, लेकिन एक दिन कुदरत मनुष्य और दूसरे जीवों के उत्पात से आज़िज़ आ गई। तंग होकर एक दिन उसने मन ही मन एक बेहद...

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गरीब और न्याय By NEELKAMAL GAUTAM

बात उस समय की है जब मैने वकालत की थी और प्रैक्टिस के लिए कोर्ट जाना शुरू क्या था पास के ही जानने वालो ने एक अपने मिलने वाले वकील का नंबर दिया था कोर्ट का पहला दिन था मन मै अलग अलग...

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पेंच By Deepak sharma

(1) सुरेश शांडिल्य का उल्लेख सबसे पहले मां ने किया था: "तुम्हारी उषा के बैंक में कोई एक सुरेश शांडिल्य है, आयु उसकी पच्चीस वर्ष है, कद पांच फुट दस इंच है और है भी पक्का शाकाहारी। उ...

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युद्ध - 1 By Manish Sidana

"सुनो जी,दिल्ली जाने के लिए टैक्सी बुक करा दी,बस तीन ही दिन रह गए है।तीन दिन बाद अपना राहुल डॉक्टर बनकर यूक्रेन से लौट रहा है"..वीना ने उत्साह के साथ मनोज से कहा। "हां ,मैने टैक्सी...

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एक अनोखा रिस्ता। - 6 By Lalit Raj

राजाराम से मिली अपनी माँ की डायरी को राज पढना शुरू करता है।डायरीवेसे मुझे लिखने का शोक नहीं लेकिन मेरी जिंदगी में आज एक नई शुरुआत हुई और इसलिए आज से लिखने के भी चाहत बढ गई।आज मेरा...

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साझा क्या ? By Pallavi Pandey

आसमान थोड़ा खुला तो कली ने शॉपर्स स्टॉप का रास्ता पकड़ा।रविवार को कली न ऑफिस का काम करती थी, न किसी सहकर्मी से ऐसी आशा रखती थी । पर आज उसने ऑफिस ड्राइवर को बुला ही भेजा ।पुणे की बा...

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साहब का अफ़सोस By Prabodh Kumar Govil

"साहब का अफ़सोस" बात उन दिनों की है जब हमारे देश में अंग्रेज़ों का आगमन हो चुका था। शहरों पर तो उनका आधिपत्य हो ही चुका था, गांव भी उनकी चकाचौंध से अछूते नहीं रहे थे। वे लोग साम दा...

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उड़ान By Manisha Agarwal

मेरा नाम‌ मिनी है। मैं राजस्थान के एक छोटे से गांव की रहने वाली हूं। मैं बचपन से ही कम बोलने वाली शांत रहने वाली लड़की हूं। मेरी एक आदत थी कि मैं अपनी बातें दूसरों से नहीं कह पाती...

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चार लघुकथाएं By Ranjana Jaiswal

अच्छे पापा दिन भर दफ्तर में खटकर मैं जल्दी-जल्दी घर लौट रहा था |बार-बार बेटे का चेहरा आँखों के सामने डोल जाता |आठ साल का गोलू-मोलू सा बेटा पप्पू ...इधर नाराज होना सीख गया है |जब से...

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आत्मग्लानि - भाग -1 By Ruchi Dixit

माई थब थाई दये !! तैं दंदी है | तै हमछे बात न कलिहै | आज यह स्वर कानो मे गूँज कर एक अपराध बोध के साथ हृदय को दृवित करे जा रहा है | बात उन दिनो की है जब हमारी काम वाली जो कि बहुत सा...

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वामांगी By Kalpana Bhatt

वामांगी२१ फरवरी,१९९२ की बात है, इस दिन और वर्ष को कैसे भूल सकती हूँ| इसी दिन तो उनके घर में एक हादसा हुआ था | वह मेरे पड़ोस में ही तो रहते थे, भूषण जी, उनकी पत्नी वामांगी एवं उनकी इ...

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गर्व क्यों? By Prabodh Kumar Govil

मैं शाम के समय एक बगीचे में टहल रहा था। तभी मुझे एक छोटा प्यारा सा बच्चा दिखा। मैंने बच्चे से कुछ बात करने की गर्ज़ से उसकी ओर हाथ हिला दिया। मैंने सोचा था कि वो हंसकर जवाब देगा, प...

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आशिक़ी....। By Kumar Kishan Kirti

"मैं राजन के बिना जिंदा नहीं रह सकती हूँ,क्योंकि मैं उससे प्यार करती हूँ।और यह मेरी आखिरी फैसला है।"इतना कहने के साथ ही रजनी की आँखें नम हो गई।मगर उसके पिता सोहनलाल अपने जिद पर अड़े...

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अधूरी दास्तां By shivani singh

अरे वाह ! आज मौसम कितना अच्छा है राहुल और मनोज दोनो अपनी पढ़ाई को खत्म करके बाहर टहलने अपनी कमरे के बाहर छत पर आए दोनो ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। औऱ ही एक ही कमरे म...

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कर्तव्य की अवहेलना By Rajesh Maheshwari

कर्तव्य की अवहेलना हम जबलपुर से हावड़ा जा रहे थे। मेरे साथ मेरे दो मित्र थे। उन दोनों में से एक मित्र को शराब की लत थी। गाड़ी जब सतना के पास पहुँची तब तक शाम हो चली थी लेकिन उनके स्ट...

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जेन ऑस्टिन - 4 By Jitin Tyagi

चैप्टर- 4प्रकृति गर्मियों की विदाई की तैयारी कर रही थी और सर्दियों के आगमन की प्रतीक्षारत थी। कैलेंडर की भाषा में अक्टूबर का महीना शुरू हो चुका था। बाज़ार धीरे-धीरे खुद को सजाने को...

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बाबुली चिड़िया का दोस्त। By Akshika Aggarwal

बाबुली चिड़िया का सच्चा दोस्त।एक गांव में एक छोटा सा लडका राजू रहता था। वह अपने माँ बाबुजी के साथ एक बडे से घर मे रहता था। उसके घर मे सारी सुख सुविधाएं उपलब्ध थी पर उसका कोई दोस्त न...

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नैनी  By Ratna Pandey

अलका प्राथमिक विद्यालय में शिक्षिका थी उसके पति सौरभ सरकारी कार्यालय में कार्यरत थे । उनका चार वर्ष का बेटा था, जो सीनियर के जी में जाता था । दोपहर बारह बजे उनका बेटा निवान स्कूल स...

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पंखा By Deepak sharma

दीपक शर्मा ’’कहो भई आलोक ?... कहो भई प्रकाश ? कहाँ हो ?’’ फूफाजी ने सीढ़ियों से हमें पुकारा है । बिजली की तार के थोकदार व्यापारी, हमारे बाबूजी की दुकान के ऐन...

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आखिर क्यों? - पापा क्यों नही कर सकते? By Ragini Pathak

"राशि !तुम किचन के काम निपटा लो। मैं अनाया को नहला कर तैयार कर देता हूं। वरना लेट हो जाएगा, मम्मी पापा आते ही होंगे" शोभित ने अपनी पत्नी से कहा "शोभित! लेकिन एक बात मेरी ध्यान रखना...

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तुलसी By kirti chaturvedi

इस सत्य प्रसंग की चर्चा यहां करने का उदृेश्य यह कतई नहीं है कि मेरे द्वारा किसी की मदद की गई बल्कि यह बताना है कि यदि आपके आसपास किसी दुखी व्यक्ति के साथ आप मदद और सहानुभूति का रवै...

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अच्छे हाथों में By Deepak sharma

दीपक शर्मा ‘धुआं ।’ क्या मेरे मुंह ने धुआं उगला था ? हे बजरंगबली ! मैं कांप गया । नहीं यह सच नहीं था । यह सच नहीं हो सकता था । मेरी भक्ति में खोट? वह जरूर सपना रहा होगा...

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नीम का पेड़ (भाग 17) By Kishanlal Sharma

54--तरकीब"तो वापस जा रहे हो"?डेविड ने रमन से पूछा था।"जाना पड़ेगा,"रमन बोला,"दो साल के वर्किंग वीजा पर यहाँ आया था।समय पूरा हो रहा है।""अगर जाने का मन न हो तो मत जाओ।यहां रुक जाओ।""...

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नेक लड़की By Shiv Shanker Gahlot

नेक लड़की पुराने शहर की गलियां बड़ी संकरी थीं । गलियों मे इटों के ऊबड़ खाबड़ खड़ंजे डले थे जिन पर कहीं भी पांव ऊपर नीचे पड़ जाता था । दोनो ओर ऊँची ऊंची हवेलियां थी जो लखौरी ईंटों स...

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पहली मुलाक़ात By Samriti

दोपहर के २ बज रहे थे...दरवाज़ा खुला...- ओ सिया...तुम अकेले ही आयी हो???वो कॉलेज से घर आयी ही थी कि माँ ने सवाल शुरू कर दिए...पसीने की बूँदे माथे से लुढ़कती हुई ज़मीन पर गिर रही थी....

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राहगीर By S Bhagyam Sharma

तमिल कहानी उमा जानकीरामण द्वारा लिखी व एस.भाग्यम शर्मा द्वारा अनूदित वेंकटशन मदुराई में उतर कर, दो घण्टे बस में सफर कर तूतूकुडी में आकर उतरे। उनका मन व शरीर दोनों इस शहर की मिट्टी...

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सब गलत तो नहीं By Prabodh Kumar Govil

मैंने नाश्ता करने के बाद निमंत्रण- पत्र एक बार फ़िर देखा। कार्यक्रम ग्यारह बजे से था। ग्यारह बजे स्वागत, ग्यारह दस पर सरस्वती वंदना,ग्यारह पंद्रह से अतिथि परिचय, ... आदि -आदि। - चा...

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अनसुलझा प्रश्न (भाग 9) By Kishanlal Sharma

27--अधूरा सपना"क्यो नही?"पत्नी की बात सुनकर प्रवीण बोला,"हर विवाहिता मां बनना चाहती है--और तुम नहीं।"""मैं भी मां बनूंगी।लेकिन अभी नही।अभी हमारी शादी को सिर्फ एक साल हुआ है।अभी स...

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प्रिय नारायणन .... By S Bhagyam Sharma

उमा जानकीरामन के तमिल कहानी का अनुवाद एस. भाग्यम शर्मा नारायणन जल्दी दफ्तर जाने के लिये तैयार हो रहा था तब ही उसके अम्मा की चिट्टी आई। नीले रंग के इन्लैंड बहुत छाटे-छोटे अक्षरों मे...

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अवधारणा By राज कुमार कांदु

सविता बड़ी देर से निर्धारित जगह पर उसका इंतजार कर रही थी और बेचैनी से बार बार मोबाईल में समय देख रही थी। इस बेचैनी के आलम में भी पिछले दिनों घटित घटनाओं को याद कर उसके चेहरे पर बरबस...

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अम्मा ! मैंने झूठ बोल दिया By S Bhagyam Sharma

उमा जानकीरामन के तमिल कहानी का अनुवाद एस. भाग्यम शर्मा अलार्म जोर से बजा तो उसे बंद कर, ज्योति करवट लेकर लेट गई। पता नहीं क्यों आज बिस्तर से उठने का मन नहीं हो रहा था। कल रात अनु ब...

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जहाज By S Bhagyam Sharma

उमा जानकीरामन के तमिल कहानी का अनुवाद एस. भाग्यम शर्मा दिवाकर फैक्टरी की बस आते ही आराम से चढ़ गया। बस में तीसरी लाइन की खिड़की के पास जहां हमेशा बैठता है वहीं बैठ गया। प्राइवेट बस म...

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वह जो नहीं कहा समीक्षा - उठो नीलांजन समीक्षा By sneh goswami

हिंदी और पंजाबी के वरिष्ठ लेखक श्री ओम प्रकाश गासो के आशीर्वचन उठो नीलांजन के लिए जो आज से दो साल पहले उनवान प्रकाशन से छपी मधुर स्पर्श को प्रस्तुत करती रचनाएं -शुभकामना ओम प्रकाश...

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धागा By S Bhagyam Sharma

मइंलापुर का सप्ताहिक हाट जहाँ लगता है वहीं एक तरफ कोने के घर में ही गणेश रहता है। आज गणेश विशेष परेशान था। अपने अंगोछे को झटका कर कंधे पर डाल, यहां वहां घूम रहा था। सुबह साढ़े दस बज...

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सचमुच की लघुकथाएं By Prabodh Kumar Govil

"अंगारे और सितारे"जब दुनिया अच्छी तरह बन गई तो सब काम सलीके से शुरू हो गए।घर घर रोटी बनने लगी।जहां घर नहीं थे, वहां भी रोटी बनती। पेड़ के नीचे, सड़क के किनारे,दो ईंट पत्थर जोड़ कर...

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वन्या (जंगल राजकुमारी) - 1 By Pooja Singh

ये कहानी है जंगल राजकुमारी वन्या की .....वन्या वनराजा और वनरानी की सबसे लाड़ली थी लेकिन उससे भी ज्यादा वो पूरे वनलत्तिका राज्य की धड़कन है उसके रोने से पूरे राज्य में हलचल मच जाती...

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चूक (लघुकथा) By Prabodh Kumar Govil

पूरी धरती पर तहलका सा मचा हुआ था। एक विषाणु और इंसानों के बीच जंग छिड़ी हुई थी। एक ओर एक विषाणु के रूप में ख़तरनाक रक्तबीज था और दूसरी ओर मनुष्य जाति। विषाणु चप्पे- चप्पे पर फ़ैल क...

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आखि़री मील By Deepak sharma

तरबूज लाऊं क्या मां. पिछली रात ही से तेज़ गरमी महसूस कर रही थीं और उन्होंने दूध तक न पिया था । ठीक है. ले आओ. मां ने कोई उत्साह न दिखाया । तरबूज़ पिछली शाम भाई लाया था । मां को ठंडा...

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भाईबन्द By Deepak sharma

’प्रभा जी हैं ?’ दरवाज़े की घंटी बजाने वाला रमेश मिश्र है । लड़की को पूछ रहा है । उसके पीछे एक ठेले पर पंजर में से एक फ्रि़ज झांक रहा है । *नहा रही है’, मैं खांसती...

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विद्या By Prabodh Kumar Govil

विद्या ददाति विनयम् अबकी बार बूढ़ा धोबी जब उनके कपड़े प्रेस करके लाया, तो उसके साथ एक किशोर लड़का भी था। बूढ़ा बोला-"अबसे आपके पास ये आया करेगा, ये आपके कपड़े भी ले आएगा, और आप इसे थोड़ी...

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टक्कर By Prabodh Kumar Govil

टक्कर महारानी से ?आम तौर पर वह पृथ्वी की हलचल देख कर प्रफ़ुल्लित हुआ करती थी, लेकिन एक दिन कुदरत मनुष्य और दूसरे जीवों के उत्पात से आज़िज़ आ गई। तंग होकर एक दिन उसने मन ही मन एक बेहद...

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गरीब और न्याय By NEELKAMAL GAUTAM

बात उस समय की है जब मैने वकालत की थी और प्रैक्टिस के लिए कोर्ट जाना शुरू क्या था पास के ही जानने वालो ने एक अपने मिलने वाले वकील का नंबर दिया था कोर्ट का पहला दिन था मन मै अलग अलग...

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पेंच By Deepak sharma

(1) सुरेश शांडिल्य का उल्लेख सबसे पहले मां ने किया था: "तुम्हारी उषा के बैंक में कोई एक सुरेश शांडिल्य है, आयु उसकी पच्चीस वर्ष है, कद पांच फुट दस इंच है और है भी पक्का शाकाहारी। उ...

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युद्ध - 1 By Manish Sidana

"सुनो जी,दिल्ली जाने के लिए टैक्सी बुक करा दी,बस तीन ही दिन रह गए है।तीन दिन बाद अपना राहुल डॉक्टर बनकर यूक्रेन से लौट रहा है"..वीना ने उत्साह के साथ मनोज से कहा। "हां ,मैने टैक्सी...

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एक अनोखा रिस्ता। - 6 By Lalit Raj

राजाराम से मिली अपनी माँ की डायरी को राज पढना शुरू करता है।डायरीवेसे मुझे लिखने का शोक नहीं लेकिन मेरी जिंदगी में आज एक नई शुरुआत हुई और इसलिए आज से लिखने के भी चाहत बढ गई।आज मेरा...

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साझा क्या ? By Pallavi Pandey

आसमान थोड़ा खुला तो कली ने शॉपर्स स्टॉप का रास्ता पकड़ा।रविवार को कली न ऑफिस का काम करती थी, न किसी सहकर्मी से ऐसी आशा रखती थी । पर आज उसने ऑफिस ड्राइवर को बुला ही भेजा ।पुणे की बा...

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साहब का अफ़सोस By Prabodh Kumar Govil

"साहब का अफ़सोस" बात उन दिनों की है जब हमारे देश में अंग्रेज़ों का आगमन हो चुका था। शहरों पर तो उनका आधिपत्य हो ही चुका था, गांव भी उनकी चकाचौंध से अछूते नहीं रहे थे। वे लोग साम दा...

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उड़ान By Manisha Agarwal

मेरा नाम‌ मिनी है। मैं राजस्थान के एक छोटे से गांव की रहने वाली हूं। मैं बचपन से ही कम बोलने वाली शांत रहने वाली लड़की हूं। मेरी एक आदत थी कि मैं अपनी बातें दूसरों से नहीं कह पाती...

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चार लघुकथाएं By Ranjana Jaiswal

अच्छे पापा दिन भर दफ्तर में खटकर मैं जल्दी-जल्दी घर लौट रहा था |बार-बार बेटे का चेहरा आँखों के सामने डोल जाता |आठ साल का गोलू-मोलू सा बेटा पप्पू ...इधर नाराज होना सीख गया है |जब से...

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आत्मग्लानि - भाग -1 By Ruchi Dixit

माई थब थाई दये !! तैं दंदी है | तै हमछे बात न कलिहै | आज यह स्वर कानो मे गूँज कर एक अपराध बोध के साथ हृदय को दृवित करे जा रहा है | बात उन दिनो की है जब हमारी काम वाली जो कि बहुत सा...

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वामांगी By Kalpana Bhatt

वामांगी२१ फरवरी,१९९२ की बात है, इस दिन और वर्ष को कैसे भूल सकती हूँ| इसी दिन तो उनके घर में एक हादसा हुआ था | वह मेरे पड़ोस में ही तो रहते थे, भूषण जी, उनकी पत्नी वामांगी एवं उनकी इ...

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गर्व क्यों? By Prabodh Kumar Govil

मैं शाम के समय एक बगीचे में टहल रहा था। तभी मुझे एक छोटा प्यारा सा बच्चा दिखा। मैंने बच्चे से कुछ बात करने की गर्ज़ से उसकी ओर हाथ हिला दिया। मैंने सोचा था कि वो हंसकर जवाब देगा, प...

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आशिक़ी....। By Kumar Kishan Kirti

"मैं राजन के बिना जिंदा नहीं रह सकती हूँ,क्योंकि मैं उससे प्यार करती हूँ।और यह मेरी आखिरी फैसला है।"इतना कहने के साथ ही रजनी की आँखें नम हो गई।मगर उसके पिता सोहनलाल अपने जिद पर अड़े...

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अधूरी दास्तां By shivani singh

अरे वाह ! आज मौसम कितना अच्छा है राहुल और मनोज दोनो अपनी पढ़ाई को खत्म करके बाहर टहलने अपनी कमरे के बाहर छत पर आए दोनो ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। औऱ ही एक ही कमरे म...

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कर्तव्य की अवहेलना By Rajesh Maheshwari

कर्तव्य की अवहेलना हम जबलपुर से हावड़ा जा रहे थे। मेरे साथ मेरे दो मित्र थे। उन दोनों में से एक मित्र को शराब की लत थी। गाड़ी जब सतना के पास पहुँची तब तक शाम हो चली थी लेकिन उनके स्ट...

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