hindi Best Short Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Short Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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परिणाम By Ramnarayan Sungariya

लघु-कथा-- परिणाम...

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वो क्यां था By मनिष कुमार मित्र"

मातृभारती परिवार के सभी सदस्यों को मेरा प्रणाम आज मैं थोड़ी सस्पेंस भरी कहानी लेकर आया हूं। आइए ज्यादा बात ना करते हुए कहानी की शुरुआत करता हूं। संध्या की कालीम...

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स्वप्न एक वरदान By Ambika Jha

सुमन 12 साल की पढ़ी-लिखी और संस्कारी लड़की है। सहेलियों के साथ खेलना कूदना मस्ती करना उसे पसंद है । माता-पिता की लाडली परिवार में सबकी चहेती चंचल और हंसमुख हमेशा प्रसन्न रहने वाली।...

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खुशियाँ लौटी By Sneh Goswami

खुशियाँ लौट आई बेशक हर तरफ उदासी बिछी पङी थी ,पर वक्त हर पल बीत रहा था । सुबह सूरज समय से उदय हो रहा था और साम को सही समय पर छिप जाता । वाणी की शादी को बारह साल बीत गए थे पर...

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नागिन का आखरी इंतकाम - भाग-१ By Appa Jaunjat

हे एक गाव मै एक लडकी और उसका पती और उसके मा बाबा रहथे थे लेकीन ऊन चारो को कोई तो मारदेता हे उसे किसने मारा देखेगे हम एक शहर में एक शुभांगी नाम की एक लडकी रेहती थी उसके घरमे program...

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हॉरर स्टोरी कहानी इंसाफ की By Nurussaba Nishi

इस कहानी के सभी पात्र वा घटनाएं काल्पनिक है इसका किसी व्यक्ति के निजी जीवन से कोई सम्बन्ध नही है। एक समय की बात है। नील और उसका दोस्त सूरज बात कर रहे होते हैं, कि यार...

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निर्लज्ज By रवि प्रकाश सिंह रमण

सरिता बहुत हीं प्रतिभावान लड़की थी।इधर ग्रेजुएशन का उसका रिजल्ट आया उधर एस.बी.आई से पी.ओ पद पर चयन का सूचना पत्र।पिता समझ ना सके लड़की ने इसे कैसे संभव कर दिखाया।वे स्वयं पी.डब्लू....

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और वो लौट ही आया By Mamta

और वो लौट ही आया हवा की गति से भी तेज दौड़ती मोटर साइकिल पर पीछे बैठी आस्था ने पराग को कस कर पकड़ लिया ।ज़ोर ज़ोर से हंसती आस्था बहुत रोमांचित हो रही थी और पराग था कि मोटर साइकिल...

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मां आखिर मां होती है By मनिष कुमार मित्र"

नमस्कार मेरे मातृभारती के दोस्तों, आज मैं आपके लिए एक कहानी लेकर आया हूं, मां की कभी खत्म ना होने वाले प्यार की उसमें अपार स्नेह की ,आई अब कहानी शुरू करते हैं। म...

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अक्षयपात्र : अनसुलझा रहस्य - 7 - अंतिम भाग By Rajnish

अक्षयपात्र : अनसुलझा रहस्य(भाग - ७)तीनों ध्यान लगाकर एक विशेष दिन की कहानी को हृदय की गहराइयों से स्मरण करते हैं।...और मायाजाल अपना असर दिखाना शुरू करता है।कुछ समय पश्चात...उन तीनो...

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परोपकार By Rajesh Maheshwari

परोपकार बांधवगढ़ के जंगल में एक शेर एवं एक बंदर की मित्रता की कथा बहुत प्रचलित है। ऐसा...

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मुठ्ठी भर एहसान By Meenakshi Singh

आज कुलीना तीन दिन बाद काम पर आई थी। उसे देखते ही दीप्ति का माथा ऐसे छनका, जैसे गर्म तवा पानी का छींटा मारने पर छनकता है। " तुम कहाँ थी तीन दिन ? बताकर तो जाना चाहिए था !"...

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आख़िरी मुलाक़ात।️ By jagGu Parjapati ️

"तो तुम भी यही मानती हो कि ये सब हमारी वजह से हुआ है ??" "हां बिल्कुल क्यूं नहीं और सच मानने या ना मानने से बदल नहीं जाता और इन सब की वजह तुम हो, ये भी एक सच है।" "तुम इतने यकीन से...

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पछतावा By Anita Bhardwaj

सुनिए ये एड्रेस बता सकेंगी। एक अजनबी की आवाज़ आयी और गेट खोलते हुए ही उसने पीछे मुड़ कर देखा, ये तो सुबोध ही उसके सामने खड़ा था। उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। फिर अचानक खुद को...

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दिवाली By रामानुज दरिया

घना अंधेरा था, हवा के तेज सायं सायं चलने कीआवाज़ उस छोटी सी खिड़की से आ रही थी जिसपे अभी तक पल्ला नहीं लग पाया था। दीपक की रोशनी से पूरा घर रोशन था हर जगह पर , कोई कोना तक बचा नहीं थ...

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शराबी की आत्मकथा (व्यंग्य) By Alok Mishra

शराबी की आत्मकथा हाँ मैं शराबी हूँ। लेकिन आप ये भी तो सोचो कि कोई आदमी जन्म से शराबी नहीं होता। बस मैं भी जन्म से शराबी तो था नहीं, बस बनते-बनते बन गया। आपने अनेकों महान ल...

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सौतेला भाई... By निशा शर्मा

जच्चा ननदी बुलाया करो, ननदी बिन शोभा नहीं चाहे लाख व्यवहार करो ! आज शर्मा जी का पूरा घर मंगल गीतों से गूंज रहा था। अरे कमला चलो ये तुमनें बहुत अच्छा किया कि सत्यनारायण भगवान की कथा...

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हवस का आतंक By Dhaval Trivedi

हवस का आतंक नमस्कार दोस्तों!! आतंक शब्द सुनते ही आपके जहन में क्या आता है? मेरे विचार से सबसे पहले आपके दिमाग में आजतक जितने भी आतंकी हमले पूरी दुनिया में किए या करवाए गए है वही आत...

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मित्रता By shelley khatri

प्रिया का फोन बंद ही आ रहा था। तीन चार बार फोन लगाने के बाद चिंता होने लगी, पता नहीं क्या बात है जो उसने फोन नहीं उठाया। कुछ सोचकर तनु ने, उसे टेक्स्ट और वाट्सएप पर मैसेज भेजा- ‘तु...

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कुंठित मानसिकता By रामानुज दरिया

मेरी सोंच उस आधुनिकता की भेंट नहीं चढ़ना चाहती थी जिसमें एक लड़की के बहुत से बॉयफ्रेंड हुआ करते हैं और ओ जब जिससे चाहे उससे बात करे , जहां जिसके साथ चाहे घूमे टहले , ओ आधी रात को आय...

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क्या हमारी भी आजादी आएगी By अर्चना यादव

चार तो देखो झूल गएक्या बाकियों की बारी भी आएगीजिस सम्मान की नारी लड़ रहीक्या वो सम्मान कभी भी पाएगी...?लड़ाई है सम्मान कीअस्तित्व की, पहचान कीजो दरिंदे खुले में घूम रहेउससे खुद के...

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व्यथा By Shweta Srivastava

लक्ष्मी को समझ नही आ रहा था कि वो हंसे या रोये। उसकी सहेलियां उसको बार बार एहसास दिल रही थीं कि उस से ज़्यादा भाग्यशाली कोई लड़की नही गाँव मे क्योंकि उसको ठाकुर साहब ने पसन्द किया था...

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प्लीज़, मानव को मानव ही रहने दें By Annada patni

अन्नदा पाटनी उफ़ ! बारह बज गए । जल्दी जल्दी खाना मेज़ पर लगाओ नहीं तो सुनना पड़ जायेगा," खाना भी टाइम से नहीं लगा सकते हो । यह नहीं सोचते कि खाने के बाद मैं आधा घंटा आराम कर लूँ ऑफ...

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आज की द्रौपदी और सुभद्रा - (अंतिम भाग) By आशा झा Sakhi

अंशिका के मुँह से शुभी के आने की बात सुन धवल व सुमन दोनों की ही नजर दरवाजे पर गयी। उनकी खुशी का ठिकाना न रहा ,जब शुभी को सच में दरवाजे पर खड़ा पाया।सुमन ने तो भागकर शुभी को गले ही...

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मौन प्रार्थनाएं... एक लघुकथा By निशा शर्मा

अरे ये क्या हुआ आपके पैर में और आप लंगड़ाकर क्यों चल रहे हैं ? अरे कुछ नहीं बस मामूली सी खरोंच है और तुम तो कुछ ज्यादा ही चिंता करती हो शोभा ! अच्छा, मैं ज्यादा चिंता करती हूँ तो फि...

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नया दोस्त By Shubham Rawat

दो मंजिला मकान जिसमे दस कमरे हैं। दो कमरे सबसे नीजे, चार कमरे पहली मंजिल पे और चार कमरे दूसरी मंजिल पे। और इन सब कमरों पे केवल किरायेदार रहते हैं। जो यहां रहने का हर महीने मकान-माल...

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अभिव्यक्ति - शाम और युवक By Yatendra Tomar

यह शाम भी बीती पिछली दो शामो की तरह ही उमस भरी थी। इसी उमस भरी शाम में एक युवक अपने घर की छत के पिछले हिस्से पर पड़ी हुई एक पुरानी बैंच पर बैठा हुआ था, बैंच का एक पैर कुछ छोटा था ज...

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देश और धर्म के परे By Laiba Hasan

करीब चार साल पहले की बात है मैं अपनी फैमिली के साथ अजमेर शरीफ से वापस लौट रही थी। बारह बजे अजमेर सियालदह ट्रेन आई और हम सब उसमें चढ़ गए। मम्मी ने टिकट पहले से ही हाथ में लिया हुआ था...

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मेरी बेटी जिंदा है... By Smita

'मेरी बेटी मुझे नहीं, औरों को तो अपनी आंखों से देख रही है। वह जिंदा है। उसने मृत्यु का वरण किया दूसरे का भला कर..।' वंदना ने पति सुकेश से धीरे से कहा। ' हां तुमने सच...

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My Hopes for Life - My Friends By Rutvik Wadkar

With this life nowadays, I just realised that after my school life, my friends are decreased. I have selective people to whom I like. I also realised that these are those friends,...

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दोषी कौन By Shraddha

शिखा की शादी अठरह वर्ष की आयु में ही हो गयी थी। इससे पहले कि वो समझ पाती शादी क्या है ? दूसरे परिवार में सामंजस्य कैसे बनाना है वो गर्भवती हो गयी। सबने सुना तो दंग रह गए अरे !ऐसे...

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एहसास By रमेश पाली

एहसास __?1?__पापा…!... मेरे सारे डॉक्युमेंट्स क्लियर हो गए हैं.. सब ठीक रहा तो अगले महीने अमेरिका जाना पक्का हो गया। बेटे के स्वर में चहक थी ....

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दीपक बनाम झालर By Ratna Raidani

कुछ दशकों पूर्व तक दीपक तथा झालर की अनन्य मित्रता थी। दोनों में अभूतपूर्व तारतम्य था। दोनों का अपने अपने क्षेत्र में वर्चस्व था। दोनों के मध्य कोई व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा नहीं थी। क...

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इलाज़ By राज बोहरे

इलाज़ राजनारायण बोहरे- आज आपके झोलाझाप डॉक्टर फकीरचन्द ने एक और आदमी मार डाला ’ मिश्रा जी कोई विलक्षण जुमला बोलकर इंट्री करते हैं। मैंने पूछा-‘किसे मार दिया यार !’...

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अस्मत By राज बोहरे

लघुकथा अस्मत राजनारायण बोहरे सब ठीक है न खेताsss नौनीता दादा हाट से लौटते...

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अधूरे संवाद भाग -2 (कथनिकाऐं ) By Alok Mishra

1प्रश्‍नों के चक्रव्‍युहवो कौन थी ?वो कैसे मरी ?उसके साथ क्‍या हुआ ?क्‍या ऐसा रोज होता है ?ऐसा कब तक होता रहेगा ?ये लोग कौन है ?क्‍या उस लड़की के रिश्‍तेदार है ?ये क्‍यों नार...

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यादगार दिवाली By Ratna Raidani

राघव आज बहुत उदास था। वह अपने फ़ोन में अपने ऑफिस और कॉलेज के दोस्तों की अपने माता पिता, अपने परिवार के साथ दिवाली की तस्वीरें देख रहा था जो उन लोगों ने सोशल मीडिया पर शेयर की थी। वह...

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पुनर्जन्म By Mamta

पुनर्जन्म गुरुद्वारे की ठंडी ठंडी सीढ़ियों पर कदम रखती हरदीप आँखो में नमी और हृदय में आशा लिए वाहे गुरु का जप करती जा रही थी ।रोज़ की तरह आज फिर वाहेगुरु से अरदास करेगी अप...

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समझौता नहीं समर्पण By Dr Vinita Rahurikar

समझौता नहीं समर्पण   “ रिश्ते बनते तो प्यार से है लेकिन निभाए समझौते से ही जाते है. जो जितना ज्यादा समझौता करेगा उसका जीवन और रिश्ता उतना ही सुखी दिखेगा लोगो को. “...

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स्त्री स्वयं ब्रह्म है, गुरु हैं By हरिराम भार्गव हिन्दी जुड़वाँ

स्त्री स्वयं ब्रह्म है, गुरु हैं(लघु कथा) एक बार की बात है, एक प्यासा किसी कुएं के पास गया जहाँ एक स्त्री पानी भर रही थी, उसने स्त्री से पानी मांगा और पीया, उस पुरुष ने उस स्त्री स...

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कंप्यूटर क्लास By Shubham Rawat

सूरज कंप्यूटर क्लास जाने लगा था। आज उसका पहला दिन था। वह क्लास में गया, सर ने उसे पहले दिन टाईपिंग करना सिखाया। और वह टाईपिंग करने लगा। सर ने उससे पूछा, "बेटा! हो रहा है ना, धीरे-ध...

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पहाड़ों में कैद रूह By आशा झा Sakhi

ये जीवन भी अजब दास्तां है। कब क्या किसके साथ हो जाये क्या पता। साथ चलता साथी कब फिसल कर दूर हो जाये कुछ कहा नहीं जा सकता । ये जीवन भी एक पहाड़ की तरह है ,जिस पर चढ़ कर शिखर तक पहुंचन...

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सात समंदर पार से बिन माँगे मदद By S Sinha

कहानी - सात समंदर पार से बिन माँगे मदद -----------------------------------------------------------...

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निम्मो (भाग-4 अंतिम) By Deepak Bundela AryMoulik

कंटीन्यू पार्ट -4अपनी नाकामियों का कसुरबार अपनों को ही बना देना कहां तक सही है.. आज कल नहीं ये तो ज़माने से चला आ रहा है जिस तरह शाहिद ने और उसकी अम्मी ने अपनी खुद की नाकामी का कसूर...

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परिणाम By Ramnarayan Sungariya

लघु-कथा-- परिणाम...

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वो क्यां था By मनिष कुमार मित्र"

मातृभारती परिवार के सभी सदस्यों को मेरा प्रणाम आज मैं थोड़ी सस्पेंस भरी कहानी लेकर आया हूं। आइए ज्यादा बात ना करते हुए कहानी की शुरुआत करता हूं। संध्या की कालीम...

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स्वप्न एक वरदान By Ambika Jha

सुमन 12 साल की पढ़ी-लिखी और संस्कारी लड़की है। सहेलियों के साथ खेलना कूदना मस्ती करना उसे पसंद है । माता-पिता की लाडली परिवार में सबकी चहेती चंचल और हंसमुख हमेशा प्रसन्न रहने वाली।...

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खुशियाँ लौटी By Sneh Goswami

खुशियाँ लौट आई बेशक हर तरफ उदासी बिछी पङी थी ,पर वक्त हर पल बीत रहा था । सुबह सूरज समय से उदय हो रहा था और साम को सही समय पर छिप जाता । वाणी की शादी को बारह साल बीत गए थे पर...

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नागिन का आखरी इंतकाम - भाग-१ By Appa Jaunjat

हे एक गाव मै एक लडकी और उसका पती और उसके मा बाबा रहथे थे लेकीन ऊन चारो को कोई तो मारदेता हे उसे किसने मारा देखेगे हम एक शहर में एक शुभांगी नाम की एक लडकी रेहती थी उसके घरमे program...

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हॉरर स्टोरी कहानी इंसाफ की By Nurussaba Nishi

इस कहानी के सभी पात्र वा घटनाएं काल्पनिक है इसका किसी व्यक्ति के निजी जीवन से कोई सम्बन्ध नही है। एक समय की बात है। नील और उसका दोस्त सूरज बात कर रहे होते हैं, कि यार...

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निर्लज्ज By रवि प्रकाश सिंह रमण

सरिता बहुत हीं प्रतिभावान लड़की थी।इधर ग्रेजुएशन का उसका रिजल्ट आया उधर एस.बी.आई से पी.ओ पद पर चयन का सूचना पत्र।पिता समझ ना सके लड़की ने इसे कैसे संभव कर दिखाया।वे स्वयं पी.डब्लू....

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और वो लौट ही आया By Mamta

और वो लौट ही आया हवा की गति से भी तेज दौड़ती मोटर साइकिल पर पीछे बैठी आस्था ने पराग को कस कर पकड़ लिया ।ज़ोर ज़ोर से हंसती आस्था बहुत रोमांचित हो रही थी और पराग था कि मोटर साइकिल...

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मां आखिर मां होती है By मनिष कुमार मित्र"

नमस्कार मेरे मातृभारती के दोस्तों, आज मैं आपके लिए एक कहानी लेकर आया हूं, मां की कभी खत्म ना होने वाले प्यार की उसमें अपार स्नेह की ,आई अब कहानी शुरू करते हैं। म...

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अक्षयपात्र : अनसुलझा रहस्य - 7 - अंतिम भाग By Rajnish

अक्षयपात्र : अनसुलझा रहस्य(भाग - ७)तीनों ध्यान लगाकर एक विशेष दिन की कहानी को हृदय की गहराइयों से स्मरण करते हैं।...और मायाजाल अपना असर दिखाना शुरू करता है।कुछ समय पश्चात...उन तीनो...

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परोपकार By Rajesh Maheshwari

परोपकार बांधवगढ़ के जंगल में एक शेर एवं एक बंदर की मित्रता की कथा बहुत प्रचलित है। ऐसा...

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मुठ्ठी भर एहसान By Meenakshi Singh

आज कुलीना तीन दिन बाद काम पर आई थी। उसे देखते ही दीप्ति का माथा ऐसे छनका, जैसे गर्म तवा पानी का छींटा मारने पर छनकता है। " तुम कहाँ थी तीन दिन ? बताकर तो जाना चाहिए था !"...

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आख़िरी मुलाक़ात।️ By jagGu Parjapati ️

"तो तुम भी यही मानती हो कि ये सब हमारी वजह से हुआ है ??" "हां बिल्कुल क्यूं नहीं और सच मानने या ना मानने से बदल नहीं जाता और इन सब की वजह तुम हो, ये भी एक सच है।" "तुम इतने यकीन से...

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पछतावा By Anita Bhardwaj

सुनिए ये एड्रेस बता सकेंगी। एक अजनबी की आवाज़ आयी और गेट खोलते हुए ही उसने पीछे मुड़ कर देखा, ये तो सुबोध ही उसके सामने खड़ा था। उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। फिर अचानक खुद को...

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दिवाली By रामानुज दरिया

घना अंधेरा था, हवा के तेज सायं सायं चलने कीआवाज़ उस छोटी सी खिड़की से आ रही थी जिसपे अभी तक पल्ला नहीं लग पाया था। दीपक की रोशनी से पूरा घर रोशन था हर जगह पर , कोई कोना तक बचा नहीं थ...

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शराबी की आत्मकथा (व्यंग्य) By Alok Mishra

शराबी की आत्मकथा हाँ मैं शराबी हूँ। लेकिन आप ये भी तो सोचो कि कोई आदमी जन्म से शराबी नहीं होता। बस मैं भी जन्म से शराबी तो था नहीं, बस बनते-बनते बन गया। आपने अनेकों महान ल...

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सौतेला भाई... By निशा शर्मा

जच्चा ननदी बुलाया करो, ननदी बिन शोभा नहीं चाहे लाख व्यवहार करो ! आज शर्मा जी का पूरा घर मंगल गीतों से गूंज रहा था। अरे कमला चलो ये तुमनें बहुत अच्छा किया कि सत्यनारायण भगवान की कथा...

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हवस का आतंक By Dhaval Trivedi

हवस का आतंक नमस्कार दोस्तों!! आतंक शब्द सुनते ही आपके जहन में क्या आता है? मेरे विचार से सबसे पहले आपके दिमाग में आजतक जितने भी आतंकी हमले पूरी दुनिया में किए या करवाए गए है वही आत...

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मित्रता By shelley khatri

प्रिया का फोन बंद ही आ रहा था। तीन चार बार फोन लगाने के बाद चिंता होने लगी, पता नहीं क्या बात है जो उसने फोन नहीं उठाया। कुछ सोचकर तनु ने, उसे टेक्स्ट और वाट्सएप पर मैसेज भेजा- ‘तु...

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कुंठित मानसिकता By रामानुज दरिया

मेरी सोंच उस आधुनिकता की भेंट नहीं चढ़ना चाहती थी जिसमें एक लड़की के बहुत से बॉयफ्रेंड हुआ करते हैं और ओ जब जिससे चाहे उससे बात करे , जहां जिसके साथ चाहे घूमे टहले , ओ आधी रात को आय...

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क्या हमारी भी आजादी आएगी By अर्चना यादव

चार तो देखो झूल गएक्या बाकियों की बारी भी आएगीजिस सम्मान की नारी लड़ रहीक्या वो सम्मान कभी भी पाएगी...?लड़ाई है सम्मान कीअस्तित्व की, पहचान कीजो दरिंदे खुले में घूम रहेउससे खुद के...

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व्यथा By Shweta Srivastava

लक्ष्मी को समझ नही आ रहा था कि वो हंसे या रोये। उसकी सहेलियां उसको बार बार एहसास दिल रही थीं कि उस से ज़्यादा भाग्यशाली कोई लड़की नही गाँव मे क्योंकि उसको ठाकुर साहब ने पसन्द किया था...

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प्लीज़, मानव को मानव ही रहने दें By Annada patni

अन्नदा पाटनी उफ़ ! बारह बज गए । जल्दी जल्दी खाना मेज़ पर लगाओ नहीं तो सुनना पड़ जायेगा," खाना भी टाइम से नहीं लगा सकते हो । यह नहीं सोचते कि खाने के बाद मैं आधा घंटा आराम कर लूँ ऑफ...

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आज की द्रौपदी और सुभद्रा - (अंतिम भाग) By आशा झा Sakhi

अंशिका के मुँह से शुभी के आने की बात सुन धवल व सुमन दोनों की ही नजर दरवाजे पर गयी। उनकी खुशी का ठिकाना न रहा ,जब शुभी को सच में दरवाजे पर खड़ा पाया।सुमन ने तो भागकर शुभी को गले ही...

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मौन प्रार्थनाएं... एक लघुकथा By निशा शर्मा

अरे ये क्या हुआ आपके पैर में और आप लंगड़ाकर क्यों चल रहे हैं ? अरे कुछ नहीं बस मामूली सी खरोंच है और तुम तो कुछ ज्यादा ही चिंता करती हो शोभा ! अच्छा, मैं ज्यादा चिंता करती हूँ तो फि...

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नया दोस्त By Shubham Rawat

दो मंजिला मकान जिसमे दस कमरे हैं। दो कमरे सबसे नीजे, चार कमरे पहली मंजिल पे और चार कमरे दूसरी मंजिल पे। और इन सब कमरों पे केवल किरायेदार रहते हैं। जो यहां रहने का हर महीने मकान-माल...

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अभिव्यक्ति - शाम और युवक By Yatendra Tomar

यह शाम भी बीती पिछली दो शामो की तरह ही उमस भरी थी। इसी उमस भरी शाम में एक युवक अपने घर की छत के पिछले हिस्से पर पड़ी हुई एक पुरानी बैंच पर बैठा हुआ था, बैंच का एक पैर कुछ छोटा था ज...

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देश और धर्म के परे By Laiba Hasan

करीब चार साल पहले की बात है मैं अपनी फैमिली के साथ अजमेर शरीफ से वापस लौट रही थी। बारह बजे अजमेर सियालदह ट्रेन आई और हम सब उसमें चढ़ गए। मम्मी ने टिकट पहले से ही हाथ में लिया हुआ था...

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मेरी बेटी जिंदा है... By Smita

'मेरी बेटी मुझे नहीं, औरों को तो अपनी आंखों से देख रही है। वह जिंदा है। उसने मृत्यु का वरण किया दूसरे का भला कर..।' वंदना ने पति सुकेश से धीरे से कहा। ' हां तुमने सच...

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My Hopes for Life - My Friends By Rutvik Wadkar

With this life nowadays, I just realised that after my school life, my friends are decreased. I have selective people to whom I like. I also realised that these are those friends,...

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दोषी कौन By Shraddha

शिखा की शादी अठरह वर्ष की आयु में ही हो गयी थी। इससे पहले कि वो समझ पाती शादी क्या है ? दूसरे परिवार में सामंजस्य कैसे बनाना है वो गर्भवती हो गयी। सबने सुना तो दंग रह गए अरे !ऐसे...

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एहसास By रमेश पाली

एहसास __?1?__पापा…!... मेरे सारे डॉक्युमेंट्स क्लियर हो गए हैं.. सब ठीक रहा तो अगले महीने अमेरिका जाना पक्का हो गया। बेटे के स्वर में चहक थी ....

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दीपक बनाम झालर By Ratna Raidani

कुछ दशकों पूर्व तक दीपक तथा झालर की अनन्य मित्रता थी। दोनों में अभूतपूर्व तारतम्य था। दोनों का अपने अपने क्षेत्र में वर्चस्व था। दोनों के मध्य कोई व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा नहीं थी। क...

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इलाज़ By राज बोहरे

इलाज़ राजनारायण बोहरे- आज आपके झोलाझाप डॉक्टर फकीरचन्द ने एक और आदमी मार डाला ’ मिश्रा जी कोई विलक्षण जुमला बोलकर इंट्री करते हैं। मैंने पूछा-‘किसे मार दिया यार !’...

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अस्मत By राज बोहरे

लघुकथा अस्मत राजनारायण बोहरे सब ठीक है न खेताsss नौनीता दादा हाट से लौटते...

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अधूरे संवाद भाग -2 (कथनिकाऐं ) By Alok Mishra

1प्रश्‍नों के चक्रव्‍युहवो कौन थी ?वो कैसे मरी ?उसके साथ क्‍या हुआ ?क्‍या ऐसा रोज होता है ?ऐसा कब तक होता रहेगा ?ये लोग कौन है ?क्‍या उस लड़की के रिश्‍तेदार है ?ये क्‍यों नार...

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यादगार दिवाली By Ratna Raidani

राघव आज बहुत उदास था। वह अपने फ़ोन में अपने ऑफिस और कॉलेज के दोस्तों की अपने माता पिता, अपने परिवार के साथ दिवाली की तस्वीरें देख रहा था जो उन लोगों ने सोशल मीडिया पर शेयर की थी। वह...

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पुनर्जन्म By Mamta

पुनर्जन्म गुरुद्वारे की ठंडी ठंडी सीढ़ियों पर कदम रखती हरदीप आँखो में नमी और हृदय में आशा लिए वाहे गुरु का जप करती जा रही थी ।रोज़ की तरह आज फिर वाहेगुरु से अरदास करेगी अप...

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समझौता नहीं समर्पण By Dr Vinita Rahurikar

समझौता नहीं समर्पण   “ रिश्ते बनते तो प्यार से है लेकिन निभाए समझौते से ही जाते है. जो जितना ज्यादा समझौता करेगा उसका जीवन और रिश्ता उतना ही सुखी दिखेगा लोगो को. “...

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स्त्री स्वयं ब्रह्म है, गुरु हैं By हरिराम भार्गव हिन्दी जुड़वाँ

स्त्री स्वयं ब्रह्म है, गुरु हैं(लघु कथा) एक बार की बात है, एक प्यासा किसी कुएं के पास गया जहाँ एक स्त्री पानी भर रही थी, उसने स्त्री से पानी मांगा और पीया, उस पुरुष ने उस स्त्री स...

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कंप्यूटर क्लास By Shubham Rawat

सूरज कंप्यूटर क्लास जाने लगा था। आज उसका पहला दिन था। वह क्लास में गया, सर ने उसे पहले दिन टाईपिंग करना सिखाया। और वह टाईपिंग करने लगा। सर ने उससे पूछा, "बेटा! हो रहा है ना, धीरे-ध...

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पहाड़ों में कैद रूह By आशा झा Sakhi

ये जीवन भी अजब दास्तां है। कब क्या किसके साथ हो जाये क्या पता। साथ चलता साथी कब फिसल कर दूर हो जाये कुछ कहा नहीं जा सकता । ये जीवन भी एक पहाड़ की तरह है ,जिस पर चढ़ कर शिखर तक पहुंचन...

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सात समंदर पार से बिन माँगे मदद By S Sinha

कहानी - सात समंदर पार से बिन माँगे मदद -----------------------------------------------------------...

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निम्मो (भाग-4 अंतिम) By Deepak Bundela AryMoulik

कंटीन्यू पार्ट -4अपनी नाकामियों का कसुरबार अपनों को ही बना देना कहां तक सही है.. आज कल नहीं ये तो ज़माने से चला आ रहा है जिस तरह शाहिद ने और उसकी अम्मी ने अपनी खुद की नाकामी का कसूर...

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