मत पूछ बारे में उसके, मैं बताना नहीं चाहता,
अब और हक उसपर, मैं जताना नहीं चाहता,

कमबखत ये दिल, मुझे दर्द बहोत देता है,
यादों में उसकी आँसू, मैं बहाना नहीं चाहता,

बडे अजीज अकसर, वो कहते है खुदको,
फोकट मे किंमत मेरी, मैं दिखाना नहीं चाहता

'गर थोडा सा मुस्कुरा देते, तो गम क्या था,
पल अब ये जुदाई के, मैं गंवाना नहीं चाहता

कभी मिल जाए सामने तो कहना, हम ठीक है,
फिर मिलनें का कोई, मैं बहाना नहीं चाहता

अब उसके नाम से भी, मुझे नफरत सी होती है,
दुश्मनी का रिश्ता उससे, मैं निभाना नहीं चाहता

वो कौन थी, वो क्या थी, क्या कहूँ, चलो छोड़ो,
उसका तो नाम भी जुबां पे, मैं रखना नहीं चाहता

अब कोई कह भी दो उनको, दफा हो जाये दिल से,
खुद का ही मकान गैरो से, मैं भरना नहीं चाहता

बहोत करता हूँ याद उसको, मगर छुपाए रखता हूँ,
"नादान" इस दिल को और, मैं सताना नहीं चाहता

-लव सिंहा "नादान"

Gujarati Poem by Love Sinha : 111202104

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