#डियर_जिंदगी ...!!!
#आशा ...!!!
दूर दूर ढलता हुआ सूरज
कहता है कुछ धीरे से,
मेरे कानों में;
डर मत मैं कल फिर आऊँगा।
अंधेरे को अवसर में पलट...
रोशनी की सुनहरी किरणे अब भी तुजे सहलायेगी।
मैं ढ़लते सूरज को क्या बताऊँ..?
मेरा ऊजाला तो वहीँ निशा के अंधकार में चमकते सितारें हैं,
जो आज गर्दिशों में कहीं खो गए हैं।