ये विश्व एक चलचित्र जैसा है और हम सब उस वृहद चलचित्र के छोटे छोटे कलकार जो जीवन रूपी एक पाठ के कलाकार हैं।
सब अपना अपना किरदार निभाते हैं और किरदार ख़तम होते ही पुनः अपने आचरण स्वरूप एक नए किरदार की खोज में भटकने लगते हैं, मनोचित किरदार मिलने पर पुनः इस चलचित्र रूपी विश्व में एक नए कलाकार और एक नए पाठ के रूप में पदार्पण करते हैं।
हम सब भी शायद एक कलाकार हैं और अपने अपने किरदार निभाते जा रहे हैं,और हमे खुद पता ही नहीं होता कि ये किरदार ,ये पाठ कब समाप्त हो होने वाला है।
हम भी एक कलाकार और मेरी नजर में आप भी एक कलाकार ,मेरा भी किरदार ख़तम हो जाएगा और आपका भी।
लेकिन इन सब में जो शेष होगा वाह है आपके पाठ रूपी किरदार को निभाने का तरीका,उसकी महानता, यदि आपने एक उम्दा किरदार निभाया है तो इस चलचित्र में उपस्थित अनेक कलाकार आपका अनुसरण करते हैं।
युवा कालकार स्व. सुशांत सिंह राजपूत की निधन पर उनकी आत्मा को भाव भीनी श्रद्धांजलि,अपने किरदार के के लिए वे हमेशा याद किए जाएंगे।
..रॉयल..