इस बज़्म में हैं सुख़नवर बहुत ही अच्छे
मगर आपकी तो कुछ अलग ही बात है

मैं आपकी क़लम की क्या तारीफ़ करूं
क़लम के हर लफ़्ज़ रूह-ए-कायनात हैं
---------------------
-सन्तोष दौनेरिया


(बज़्म - सभा, सुख़नवर - कवि, लफ़्ज़ - शब्द, रूह-ए-कायनात - संसार की आत्मा)




.

Hindi Shayri by Santosh Doneria : 111602899
Santosh Doneria 3 years ago

तह-ए-दिल से शुक्रिया 🙏

Santosh Doneria 3 years ago

तह-ए-दिल से शुक्रिया 🙏

Santosh Doneria 3 years ago

तह-ए-दिल से शुक्रिया 🙏

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now