"अमीरों के तराजु में तोलती गरीबी"


आज एक गरीब नादान
बच्ची की कहानी सुनता हूं,

पढकर शायद ना भी फरक
पड़े अमीरजादों को,

लेकिन समझदारी और साझेदारी की हे ये बात
समझ सको तो समझ लेना
वरना तो हम लिखते रहेंगें
और आप बेवकूफी करते रहेंगे............।



एक नादान सी बच्ची
आज बहुत खुश थी,

किसीके ख़ुशी में शामिल होने
आज वो जा रही थी,

सज गयी थी वो आज जाने की खुशी में
गरीब ही सही पर चेहरे पर
मुस्कान लिए साफ कपड़े पहने
निकली थी वो घर से,

रास्ते के एक तरफ से
आँखों में खुशी की चमक
ले के जा रही थी वो,

कुछ दूर ही गयी थी
की उसकी खुशी और वो
उसके चेहरे की मुस्कान खो गयी,

एक अमीरजादे की कार उस
पर किचड़ उछाल चली गयी थी,

जो आँखों में ख़ुशी की चमक थी
वो मायूसी भरे आंसुओ में तब्दील हो गई थी,

कुछ देर तक वही चुपचाप सी
खड़ी वो लडक़ी सोच रही थी,

क्या गरीब होना इतना बुरा होता है,
के कोई अगर कार में जाता है,
तो क्या वो इतना भी नही देखपाता
के रास्ते पर पैदल चलने वाले भी
इंसान होते है,

क्या उन्हें दिखाई नही देता के
वो भी और हम भी एक इंसान ही है,

जिस खुशी से वो निकली थी,
घर से किसी अपने की ख़ुशी में शामिल होने
वो मायुस चेहरे से उसी रास्ते घर वापस आगयी,

आज एक अमीरजादे की हरकत से
एक नादान की कीमती ख़ुशी चूरचूर हुई थी,

माँ ने जब पूछा उसे जोरो से वो रोने लगी,
माँ भी दबे आवाज में कह गई,

के हम गरीबों की यही होती है
कहानी अमीरों के चकाचोंद के निचे दबती
हमेशा हमारी जिंदगी की कहानी।

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Hindi Poem by Creative Creatures Chair Nitin Deshmukh : 111643116

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