वर्षों से चला आ रहा है इक प्रचलन..
"संध्या" के बाद है "उषा" से "मिलन"
उषा की कांति इतनी निराली है
मानों इंद्रधनुषी रंगों ने छलकाया
रंगों की प्याली है. .
मानव चल पड़ा लक्ष्य की ओर
किरणें बिखर गयी चहूँओर
सुप्रभात🙏 सबको. .

-डॉ अनामिका

Hindi Poem by डॉ अनामिका : 111742765

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