कहती थी,कि किसी रोज साबित तो करो...
इक रोज! किन्हीं और के,हो लिए हम।
था वर्षों से जगा,चैन नींद से सो लिए हम...
#जियानहींगया
#मरने_की_चाह
#तुम्हारीकमी
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

Hindi Shayri by सनातनी_जितेंद्र मन : 111786000

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