#श्रृंगार रस
#hindipoem


"निर्मोही रसिया"

निर्मोही सा रसिया! जो ना देखे भीगी अखियाँ
कहती है सखियाँ! करता है किसी और से यह बतियाँ
नटखट सा रास रसिया,
देखें औरों की चमकीली चुनरिया
नयी खरीदी हैं मैंने! चमकीली ओढनियाँ,
कभी इधर नजर डाल ले मेरे सांवरिया

कृष्ण का संवाद तुम्हारा , हर श्रोता को लगे तू नयारा
काटू वचन क्यों छलकते हैं इस हृदय बसंत पे,
थोड़े मीठे बोल इधर भी सुना दे बावड़ा
भंवरे, सामान स्वभाव तुम्हारा,
जो सोम के लिए खरकाये औरों का दरवाजा
यहां ! अनंत प्रेम बसा रखा है तेरे लिए,
बस तू इस हृदय की चौखट ना लांघ, मेरे कान्हा!

Deepti

Hindi Poem by Deepti Khanna : 111813582

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