काश कि आप यह समझ सकते,

कि इस कम्बखत काश से रोजाना कितना लड़ते हैं हम,

किसी ना किसी दिन तो पा ही लेंगे ए मंज़िल तुम्हे,

ठोकरें ज़हर तो नहीं जो खाकर मर जाएंगे हम..!!

Hindi Shayri by Aajkishayri : 111815115

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