दुश्मनी तुमसे निभाएँ तो निभाए न बने
और तुम प्यार की सौग़ात पे हँस देते हो ।

हँसना अच्छा है मगर उसकी भी हद है जानां
तुम तो इंसान के जज़्बात पे हँस देते हो ।
कांतिमोहन 'सोज़'

Hindi Shayri by Rakesh Thakkar : 111824228

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now