रामायण भाग - 32
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लक्ष्मण की चेतना (दोहा - छंद)
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क्षमा मांग हनुमान से, पछताये प्रभु भक्त।
जाओ लेकर तुम बुटी, निकले ना ये वक्त।।
विधा भरत से ले चले, महा वीर हनुमान।
संजीवनी बुटी से बची , लक्ष्मण जी की जान।।
वानर सेना खुश हुई, बोले जय श्री राम।
युद्ध हुआ आरंभ फिर, लेकर प्रभु का नाम।।
Uma Vaishnav
मौलिक और स्वरचित