“उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत।
क्षुरस्य धारा निशिता दुरत्यया दुर्गं पथस्तत्कवयो वदन्ति “

….. स्वामि। विवेकानंद 🙏🏻

Gujarati Quotes by Umakant : 111848011

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