घाव स्वतः ही भर जाते है |
दुःख स्वतः ही कम हो जाता है |
ख्वाहिशे भी निर्मूल हो जाती है |
आखिर कारण क्या है ? यह प्रश्न जहन मे आ जाने पर |
कितना जी लिये
और कितना ही और जियेंगे |
भय नही मृत्यु से, भय है तो जीवित न
होने से | भय नही न पाने से ,
भय है तो खो जाने से | भय नही प्रेम से भय है तो प्रेम मे मिश्रित अहंकार से | भय नही जानने से भय है तो न मानने से | भय है तो अन्तरग्रहण अनभिज्ञता और पोषित न हो पाने से | भय है तो केवल भय से |

Hindi Thought by Ruchi Dixit : 111848111

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