जग से कभी न आह कीजिए......

जग से कभी न आह कीजिए।
उमर गई अब वाह कीजिए ।।

बदल गया है आज जमाना।
भेद-भाव का दाह कीजिए ।।

चौथा-पन आया है द्वारे।
मिल-जुल सभी सलाह कीजिए।।

माता नहीं कुमाता होती।
कर चिंता परवाह कीजिए।।

जन्म दिया है जिनने तुमको।
उनसे प्यार अथाह कीजिए।।

मनोजकुमार शुक्ल " मनोज "
🙏🙏🙏🙏🙏🙏

Hindi Shayri by Manoj kumar shukla : 111929251

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