मेरा ईमान, मेरा देश, मेरी जान है ये धरती,
इसी मिट्टी से जन्मा हूँ, यही पहचान है मेरी।
हवाओं में यहाँ की घुली है मोहब्बत हरदम,
हर जर्रे में बसी है वफ़ा, यही तो शान है मेरी।
कई रंग हैं, कई रूप हैं, मगर एकता है ऐसी,
कि जैसे एक ही माला के हों सभी दाने मेरी।
कभी मुश्किल भी आई तो चट्टान बनके खड़े थे,
हर आज़माइश में चमकी है, यही तो आन है मेरी।
ये खेत मेरे, ये पर्वत मेरे, ये नदियाँ मेरी हैं,
हर मंज़र में छुपा बचपन, यही तो शान है मेरी।
किसी दुश्मन की क्या मजाल कि आँख उठाए इस पर,
हर सिपाही यहाँ जान देने को तैयार है मे
वेदना' वतन से बढ़कर नहीं कोई दौलत,
इसी मिट्टी में मिल जाना, यही अरमान है मेरी।