Hindi Quote in Poem by Sudhir Srivastava

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हास्य- यमराज की समस्या
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अभी-अभी मित्र यमराज हाँफते हुए आया
और बिना किसी भूमिका के
उलाहना देते हुए एकदम से फट पड़ा।
बहुत हो चुका यारी दोस्ती का खेल
अब मैं आपसे अपनी मित्रता तोड़ना चाहता हूँ
सूकून की थोड़ी सांँस लेना चाहता हूँ।
आपके चक्रव्यूह से निकलना चाहता हूँ,
आपके यार-दोस्त, दुश्मन, रिश्तेदारों ही नहीं
शुभचिंतकों से भी दूर रहना चाहता हूँ,
आपके किसी लफड़े में फँसना नहीं चाहता हूँ।
मित्र यमराज की बात सुन मैं सदमें में आ गया
समझ नहीं आया कि आखिर ऐसा क्या हो गया?
मैंनें प्यार से पुचकार कर पूछा-
जो मेरा यार हत्थे से उखड़ गया,
ऐसा क्या हो गया मित्र, जो तू इतना परेशान हो गया
और आते ही सीधा मुद्दे पर आ गया।
यमराज भावुक स्वर में कहने लगा-
देखो प्रभु! बहुत हो गया, अब ये सब नहीं चलेगा
आपकी आड़ में अब और कोई खेल नहीं हो सकेगा,
आपका नाम लेकर लोग बहुत तंग करते हैं
जब देखो तब कोई न कोई आकर
मेरे काम में अवरोध पैदा करने लगते हैं
अनावश्यक दबाव बनाने का असमय प्रयास करते हैं,
आपका नाम लेकर हमें गुमराह करते हैं
और खुद को तत्काल यमलोक ले चलने की
बात कर जोर जबरदस्ती करने लगते हैं,
इतना ही नहीं मेरे चेलों को भी परेशान करते है,
तो कोई अपने बैरियों को तत्काल
यमलोक में ढकेल देने की
पुरजोर सिफारिश करने के साथ-साथ
धमकाने भी लगते हैं।
आपका नाम लेकर मेरी व्यवस्था को
अव्यवस्थित करने का षड्यंत्र करते हैं,
पर मुझे तो लगता है कि ये सब मुझे नहीं आपको
नीचा दिखाने की सोची समझी रणनीति के तहत
नित नई बिसात बिछा रहे हैं।
मैं मुस्कराया- बस इतनी सी बात है
जिससे तू इतना घबराया
तनिक भी अपना दिमाग नहीं चलाया।
बस! तू मेरी सलाह पर अभी से अमल करना शुरू कर दे
ऐसे वैसे हर किसी को एक के साथ चार के
मुफ्त प्रस्ताव की उपहार योजना लागू कर दे,
विश्वास कर फिर कोई तेरे पास नहीं आयेगा,
तुझे और यमलोक की बात तो छोड़,
वे सब मुझे भी भूल जायेंगे,
गलती से भी मेरा नाम जुबाँ पर फिर कभी नहीं लाएंगे।
तब तेरी समस्या का समाधान चुटकियों में हो जायेगा
फिर भला किसकी मजाल होगी,
जो फिर तुझसे उलझने आयेगा।
हम दोनों का याराना भी यूँ ही बना रह जायेगा
मित्रता के इतिहास में हम दोनों का नाम
सारी दुनिया में पहले नंबर पर आयेगा।
यमराज खुशी से उछल पड़ा-
वाह प्रभु! आपने तो कमाल कर दिया
मेरी मुश्किल का बड़ी आसानी से समाधान कर दिया,
आप महान हो प्रभु, आपको शत शत प्रणाम है
आज पता चला कि आपके पास
दुनिया की हर समस्या का सरल समाधान है।
अब चलता हूँ प्रभु- मेरे सिर का बोझ हल्का हो गया,
साथ ही मेरे चेले का फोन भी इसी बीच आ गया
लगता है यमलोक में कोई नया बघेड़ा खड़ा हो गया
शायद आपका कोई नया शुभचिंतक
यमलोक के द्वार पर आकर मेरे चेलों से उलझ गया।

सुधीर श्रीवास्तव (यमराज मित्र)

Hindi Poem by Sudhir Srivastava : 111984120
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