“हर एहसास के पीछे कोई कहानी छुपी होती है… और कभी-कभी, वो कहानी आपकी अपनी हो सकती है।”
क्या आपने कभी खुद को खो देने की हद तक किसी को चाहा है?
क्या ज़िंदगी ने आपको किसी मोड़ पर रोककर आपकी असली पहचान से मिलवाया है?
“बर्फ के पीछे कोई था?” सिर्फ एक उपन्यास नहीं, बल्कि उन अनकहे जज़्बातों की यात्रा है जिन्हें हम अक्सर खुद से भी छुपा लेते हैं। लेखक धीरेन्द्र सिंह बिष्ट ने इस किताब के माध्यम से दिल के उन कोनों को छुआ है जहाँ हम अपने सबसे सच्चे और सबसे कमजोर रूप में होते हैं।
यह कहानी बताती है कि हर चाहत का पूरा होना ज़रूरी नहीं होता, लेकिन जो अधूरा रह जाता है, वही हमें सबसे गहरी सिख देता है। जीवन की जटिलता, प्रेम की मासूमियत, और पहचान की तलाश – यह उपन्यास इन सभी को एक बेहद खूबसूरत ढंग से पिरोता है।
📖 “जब जज़्बात खुद को खो देने की हद तक गहरे हों, तभी ज़िंदगी हमें हमारी असली पहचान से मिलाती है।”
अगर आप ऐसी कहानियाँ पसंद करते हैं जो दिल को छू जाएँ और सोच को झकझोर दें, तो यह किताब आपके लिए है।
👉 अब उपलब्ध है Amazon, Flipkart और NotionPress पर।
💬 “जब कहानियाँ चुप होती हैं, वो सबसे ज़्यादा बोलती हैं…”
तो आइए, इस चुप्पी को पढ़िए और महसूस कीजिए।
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