लोग कहते हैं - अकेला है तू, मैं हँसता हूँ – क्योंकि सबसे सच्चा हूँ मैं।
भीड़ में चलना सबको आता है, पर अकेले चलना ये कम ही कर पाते हैं।
अकेलापन मेरी हार नहीं, ये तो मेरी सबसे बड़ी जीत है।
जहाँ सब साथ छोड़ते हैं, वहीं से मेरा सफर शुरू होता है।
रिश्ते जब मतलब के हो जाएँ, तो अकेला रहना ही अच्छा लगता है।
मैं अकेला हूँ - इसलिए आज़ाद हूँ, कोई ज़रूरत नहीं दिखावे की बातों की।
भीड़ में नाम खो जाते हैं, अकेले में पहचान बनती है।
मैं हर रोज़ खुद से लड़ता हूँ, इसलिए दुनिया से डरता नहीं।
अकेलापन मुझे सोचने देता है, और सोच मुझे आगे बढ़ने देती है।
मैं गिरा भी हूँ, टूटा भी हूँ, पर संभला भी हूँ - बिना किसी के सहारे।
लोग पूछते हैं – तेरे साथ कौन है?
मैं कहता हूँ – मेरे साथ मेरा हौसला है।