ख़ून भले ही एक हों,एक बाप की दो औलाद हों
फिर भी वो हमें भ्रमित कर देता है
कभी सत्ता की लालच में तो कभी खुद के मौत डर से
जैसे कि औरंगज़ेब ने अपने पिता शाहजहां को बंदी बना दिया
और अपने कत्ल करके दिल्ली का बादशाह बन बैठा !
कंश राजा को आकाशवाणी से अपनी ही मौत का डर लगने
लगा,तो उसने अपने ही जीजा और बहेन को बंदी बना दिया
वो अपने ही हाथों से भांजी और भांजे का कत्ल करने लगा !
यानी कि बुध्दि भ्रष्ट हर किसी कि हों सकतीं हैं
इसीलिए आप लालच और डर साईड में रखिये मगर संतुष्ट
रहिए,कामयाबी अलग चीज है वो मेहनत से मिलती है और
इसमें हर किसी का हक़ है ।।
नरेन्द्र परमार ✍️