अब फ़िर से नुक्कड़ की दुकान से मोमबत्तियां बिकी है.. शायद अब की बार गुनेहगार पकड़ा नहीं जाएगा क्योंकि किसी गरीब की बेटी की ही आबरू लूटी है..वस्त्र हरण से मन भर गया अब दरिंदों का.. तभी तो अंग अंग से वो बेटी चीरी गई है.. हां पकड़ी जाती वो आसानी से अगर उसने किसी के बेटे को काटा होता.. फ्रीज में बंद या बोरे में टुकड़ों को लादा होता..अभी कोलकाता की मोमबत्तियां बुझी तक नहीं थी ; फिर से एक शिक्षक के जिस्म पे नोचने के निशान है.. जहां हरि की भूमि कहा जाता था वो हरियाणा शर्मसार है..धर्म की नगरी भिवानी कहते उस पे आज धिक्कार है.. मां बहन बेटी को जहां इज़्ज़त से देखने की पपरंपराएं चलती है वो भारत क्यूं लाचार है?आज़ादी दिवस मनाने वालों शर्म करो जिस देश में बेटी सुरक्षित नहीं वो देश कैसे आज़ाद है?