ईश्वर ने जब मनुष्य की रचना की,
तो सब कुछ मनुष्य को दे दिया — बुद्धि, शक्ति, संपत्ति, साधन।
लेकिन एक चीज़ जानबूझकर छिपा दी।
वह चीज़ थी — शांति।
भगवान ने उसे पैरों के नीचे रखा और कहा:
“मनुष्य हर जगह भागेगा — धन, सुख, प्रसिद्धि, सत्ता की ओर।
लेकिन जहाँ-जहाँ जाएगा, वहाँ उसे अधूरापन मिलेगा।
आख़िर में जब वह थक कर गिरेगा,
तो अपने ही पैरों के नीचे झाँकेगा —
तभी उसे शांति मिलेगी।”
👉 संदेश यह है:
शांति कहीं बाहर नहीं है।
न धन में, न सुख-सुविधाओं में।
यह तो हमारे ही भीतर है — ठीक वहीं, जहाँ हम खड़े हैं।
मनुष्य की असली यात्रा सुख इकट्ठा करने की नहीं,
बल्कि उस भीतर छिपी शांति को पहचानने की है।
और वही शांति हमें मौन, ध्यान और आत्मा से जोड़ती है।
✍🏻 — 🙏🌸 𝓐𝓰𝔂𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲