संघर्ष नहीं जिनके जीवन में
संघर्ष नहीं जिनके जीवन में,
वे कैसे सुख का मान करेंगे?
नहीं लड़े जो आँधियों से,
वे कैसे जग में स्थान करेंगे?
अंधियारी रात न झेले जिनने,
वे कैसे भोर का गान करेंगे?
जो आग न तपकर निकले सोना,
वे कैसे जग में सम्मान करेंगे?
धारा अगर न पत्थर तोड़े,
तो कैसे सुर का ज्ञान करेगी?
गिरकर जो उठना न जान सके,
वह कैसे पथ की पहचान करेगी?
विजय उन्हीं के चरण चूमती,
जो रण में अडिग, महान खड़े।
संघर्ष ही जीवन का सत्य है,
यही दीप जला, यही राह गढ़े।