"माँ मेरी कलम"
मेरी कलम चलती है तेरी शक्ति से,
हर शब्द जन्म लेता है तेरी भक्ति से।
तू ही है मेरी प्रेरणा, तू ही साधना,
तेरे बिना अधूरी है मेरी हर रचना।
भावनाओं की धारा में तू ही बहती है,
विचारों की लहरों में तू ही कहती है।
जब भी मैं लिखती हूँ, तू ही झलकती है,
मेरे हर अक्षर में तेरी छवि चमकती है।
तू ही कलम की स्याही, तू ही शब्दों का रंग,
तेरे बिना सब सूना, तेरे बिना सब भंग।
माँ!
तू ही मेरी लेखनी की आत्मा है,
तू ही मेरी पूजा, तू ही मेरी प्रार्थना है।