कलियुग के रिश्ते
आजकल का युग बड़ा खतरनाक हो चला है।
रिश्तों में धोखे का खेल खुलकर खेला जा रहा है।
बेटा प्रेमिका पर मरता है,
मां बेटे पर इस कारण बैर करती है,
बहु या पत्नी पूरा परिवार झेलता है।
मां को डर है, कहीं बहु उसे बेटे से अलग न कर दे।
हर रोज बहु को नए–नए जाल में फंसाया जाता है,
उसकी गलती न होते हुए भी उसे गलत ठहराया जाता है।
मां बेटे के सामने खुद को अच्छा दिखाती,
बहु की कमियां गिनाती,
इसीलिए पति पत्नी को गलत समझता है।
पति प्रेमिका को देवी समझता है,
मां को भगवान।
लेकिन इन मीठे चेहरों के पीछे छुपे असली रूपों की पहचान
कैसे हो?
प्रेमिका और मां मीठी–मीठी बातें कर,
उसके सामने खुद को अच्छा दिखाती है।
पत्नी जाल में फस जाती है,
बचने के लिए पति को बताती है,
तो उल्टा उसी से झगड़ा होता है,
क्योंकि विश्वास तो मां पर है,
पत्नी पर कैसे करे?
पत्नी को झूठ बोलना नहीं आता,
शायद इसलिए उसे बुरा कहा जाता है।
कलियुग में रिश्तों में क्लेश का कारण
पति की प्रेमिका, पत्नी का प्रेमी
या किसी तीसरे की चाल भी हो सकता है।
रिश्ता कमजोर होता है,
झगड़े का कारण बन जाता है।
हाँ, सब पति–पत्नी ऐसे नहीं होते।
जो सच्चे होते हैं, वे मौज में रहते हैं।
पवित्र रिश्तों का हिस्सा,
प्रेम ही प्रेम में बदल जाता है।
सच कहूँ,
यदि पति–पत्नी में कोई एक
दूसरे को न समझे,
पति पत्नी की इज़्ज़त न करे,
तुम सही हो यह जानते हुए भी
अपने लोगों का साथ दे
और तुम्हें गलत ठहराए—
तो ऐसा घर नहीं चलता।
एक बचाने पर लगा है,
तो दूसरा तोड़ने पर।
तोड़ने वाला ही बड़ा खिलाड़ी बनता है।
जरूरी नहीं कि पत्नी ही घर तोड़ रही हो।
अक्सर जो मीठा बोलकर
पति–पत्नी में जहर घोलता है,
वही असली कारण होता है
रिश्तों के टूटने का।
इसीलिए,
कलियुग में पति पत्नी का रिश्ता जल्दी टूटता हैं।
---लेकिन यह बात सभी सास–मां पर लागू नहीं होती।
कई सास–माएं तो बहु को बेटी जैसा मानकर
घर को संभालने और जोड़ने में लग जाती हैं।