**बढ़ती उम्र का लिवास**
धीमे-धीमे घटता नहीं है जीवन का सागर,
बस बदलता है उसका रूप, उसका आकार।
सफेद होते बालों में छुपी है कहानी,
वक्त की नर्म छुअन, यादों की रवानी।
हाथों की लकीरों में लिखा अनगिनत संघर्ष,
हर लहर में है जिंदगी का एक अवलंब।
धीमी पड़ती सांसों में भी गूंजता है शोर,
फ़र्क़ बस इतना है कि अब कम है दौर।
यह उम्र नहीं है बोझ, ना कोई बंदिश,
यह एक सुकून है मन की, वक्त की गंध।
संघर्ष से परे अब मिलेगा विश्राम,
जहाँ आत्मा पाएगी अपना स्वाभिमान।
बढ़ती उम्र का यह लिवास है वरदान,
स्नेह, सम्मान और प्रेम का महान।
जो पाता इसे, वह समझता है सच,
जीवन का संगीत है, इस धीमी गति का मधुमय स्पर्श।
आर्यमौलिक