अगर छूट गया मुझसे हाथ तुम्हारा —
तो मैं ज़िंदगी को ज़हर,
प्रेम को पाप,
आत्मा को अंत,
और तुम्हारे साथ को स्वर्ग लिखूंगी।
हर धड़कन को सज़ा
और हर याद को दाह-संस्कार लिखूंगी।
मोहब्बत के देवता को
अपनी तकदीर का गुनहगार लिखूंगी।
जिस रास्ते पर तुम चले हो कभी,
उसी राह की धूल में
अपनी आख़िरी साँस लिखूंगी
फिर जो भी बचेगा मुझमें
वो तुमसे मिली बर्बादी का
अमर प्रमाण लिखूंगी।
और हाँ…
अगर छूट ही गया तुमसे मेरा हाथ
तो याद रखना,
मैं टूटकर भी— खुद को तुम्हारी जीत लिखूंगी।
ArUu ✍️