मौलिक जीवन का धर्म
— जियो… अपने स्वभाव में —
मानव के जीने के कोई विशेष नियम–सिद्धांत नहीं हैं।
बस जियो — अपने स्वभाव में।
हर आत्मा एक अनोखा रंग है,
हर जीवन एक मौलिक स्वर।
इसी स्वभाव को जी देना ही जीवन है।
✦ नियम कैसे बंधन बने ✦
धर्म, शिक्षा, विज्ञान —
इन्होंने मनुष्य के अनुभव को बटोरा,
उसे नियम बनाया,
फिर उन्हीं नियमों को सत्ता की गद्दी दे दी।
और कहा —
> “दूसरा मेरे ढंग से जिए,
ताकि मैं उसे आसानी से गुलाम बना सकूँ।”
यहीं से
धर्म → पंथ → संप्रदाय बनते गए,
और मनुष्य का स्वभाव
क़ैद होता गया।
✦ मनुष्य का चमत्कार ✦
यदि मनुष्य सच में अपने को जी ले —
तो हर एक
कला है,
विज्ञान है,
गीत-संगीत है,
चित्रकारी है,
इंजीनियरिंग है,
मूक कविता है।
अस्तित्व किसी की कॉपी नहीं बनाता।
विविधता ही ईश्वर की कला है।
> ईश्वर = जीवन = स्वतंत्र आत्मा का विकास।
✦ उधार का जीवन — भूख का कारण ✦
भीड़ की तालियाँ आज
सत्ता समझी जाती हैं।
पर कला तो
ना सिखाई जाती है,
ना दिखाई —
बस जीने से जागती है।
उधार का जीवन
उधार की खुशी देता है।
फिर भीतर हमेशा
एक भूख…
एक अधूरापन बाकी।
क्योंकि
भीतरी फूल खिलने से पहले ही
धर्म–संस्कारों के बोझ तले मसल दिए गए।
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✦ जीवन संबंध बनाता है ✦
जिसकी जितनी आयु —
उतने ही रंग, उतने ही रिश्ते:
बच्ची के साथ बच्चा
स्त्री के साथ स्त्री
जवान के साथ जवान
वृद्ध के साथ मौन
पशु के साथ सहज प्रकृति
तभी भरत शेरों के साथ खेला था।
तभी साँप शिव के गले का हार बना।
यह जीवन का अपना नृत्य है।
✦ प्रतिस्पर्धा = व्यापार ✦
✦ मौलिकता = जीवन ✦
जब दुनिया एक जैसा जीवन जीने लगे —
प्रतिस्पर्धा बढ़ती है,
लेकिन जीवन मरता है।
एक जीतता है —
सौ हारते हैं।
यह रावण की व्यवस्था है —
जीवन नहीं।
> प्रतिस्पर्धा व्यापार है।
जीवन मौलिकता है।
✦ आत्मा की राह ✦
जीवन स्वयं
ईश्वर की साधना है।
जिए हुए में ही
तीर्थ बसते हैं।
यही विविधता
हमारे मेल–मिलापों का उत्सव है।
✦ रचना का धर्म ✦
आज तकनीक ने
सब घर एक-से बना दिए।
अतीत के मंदिर देखो —
हर मंदिर अपनी आत्मा लिए खड़ा है।
न हार-जीत
न सफलता–असफलता —
सिर्फ सृजन।
> जियो अपने स्वभाव में — यह ही धर्म है।
जो जीवन थोपा जाता है,
वह शिक्षा नहीं —
हिंसा है।
जीवन छीनकर
नियम दिए जाते हैं।
गुलामी को सभ्यता कहा जाता है।
✦ निष्कर्ष ✦
जीवन का दूसरा नाम —
स्वतंत्रता।
और स्वतंत्रता का असली अर्थ —
मैं वही बनूँ
जो मैं होने आया हूँ।
Vedānta Yoga — Union with Your True Nature
(वेदान्त योग — अपने सत्य स्वभाव से एकत्व)
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