संघर्ष Quotes in Hindi, Gujarati, Marathi and English | Matrubharti

संघर्ष Quotes, often spoken by influential individuals or derived from literature, can spark motivation and encourage people to take action. Whether it's facing challenges or overcoming obstacles, reading or hearing a powerful संघर्ष quote can lift spirits and rekindle determination. संघर्ष Quotes distill complex ideas or experiences into short, memorable phrases. They carry timeless wisdom that often helps people navigate life situations, offering clarity and insight in just a few words.

संघर्ष bites

ये तेरा युद्ध है
न तुझे हो डर
शास्त्र और शस्त्र
दोनों की हो तुझे ख़बर
राजनीति और रणनीति
की तुझको हो पकड़
साम, दाम, दंड, भेद अपना
कर #संघर्ष जीत की
विजय हो तू अगर
जीत का पताका ये
फहरा तू शहर शहर।।
#संघर्ष

आज कल लोग खूद के
सफल होने में कम, और...

दूसरों को असफल करने
में ज्यादा संघर्ष कर रहे हैं ।

✍🏻Wr.Messi
#संघर्ष

#संघर्ष

जीवन की इस गाथा को
मानव कहता चल अपनी जुबानी
क्योंकि जीवन तो है
संघर्षों की कहानी।।

जिस के पीछे छुपी होती हैं ।
कामयाबी,
जिस के पीछे छुपा होता हैं ।
पूरा जीवन,
उस सफलता को पाने
पाने के लिए ।
जो सबसे ज्यादा करना
पडता है ।
वो होता हैं ।#संघर्ष
-Jagruti solanki

परिवर्तन है....संसार का नियम....
लेकिन तुम संघर्ष करो जी....

प्रश्न करो अपने अंतर से.....
होगा ही केहता....करो संघर्ष....

आलस कब है काम को आई....
ले डुबेगा ये जीवन....

आलस-वालस छोड के तुम सब
शुरू करो अब....हर संघर्ष.....

हा लेकिन....😊
मात-पिता के करो चरणस्पर्श....
फिर तुम करना हर संघर्ष....

#संघर्ष

By jayshree_Satote

#संघर्ष

ऐ जिंदगी इतना भी मत इतरा,
आजमा लें कितना आजमायेगी।

रखते है दम हम भी संघर्ष का ,
झुक जाना हमे आता नही।

दरिया आग का सही पार करते जाना है।
हार कर जो बैठ जाए , वों फितरत नही हमारी ।

लें ले कितने इम्तिहान लेगी ,
एक अफसोस तो तुझे भी करा कर जाएंगे

बँगला,गाड़ी,शोहरत,क़ाबिलियत ,सम्मान,
यह सब देख -देख कर ,हैरान और परेशान ,
क्या किसी ने देखा सोचा हे मानव महान !

कितना दर्द सहा उसने ,क्या सोचा है आज,
संघर्ष किया है उसने ,नहीं देखा दिन-रात ,
जीवन में मस्ती त्याग,आराम त्याग,

तब आज मिला सम्मान,आज मिला सम्मान ।

सीखो मानव !आज हरे -भरे वृक्षों से सीखो ,
फल-फूल,हवा,पत्ते लकड़ी दूजों को ही,
दान दिया,अपना सब कुछ दान किया ।।

आशा सारस्वत


#संघर्ष

#संघर्ष
आज ही तो अण्डे से निकली थी वो,
पर पंख फड़फड़ाने को मचल रही थी।
आसमां उसे पुकारता अपनी ओर कभी तो,
रोकती नन्हीं को हवा; जो तेज़ जो चल रही थी।
जैसे ही उसने पंख फैलाये ज़रा ही,
सहसा ही वो जमीं पर गिर पड़ी।
मैं यूँ ही उसे ताकती रही,
थोड़ी डर उसे यूँ ही खड़ी खड़ी।
फ़िर से उसने हिम्मत जुटाई,
अपनी पंखों को फैला आकाश को छूना था।
संघर्ष की घड़ी में भी लेकिन,
उस चिड़िया में अभी भी जोश दुगुना था।।
फ़िर उड़ चली वो एक दिन,
मंज़िल उसकी "ऊंची उड़ान" जो थी।
छिपकर कसे रहे अपनी पंख समेटे,
आसमान में उड़ने में ही शान जो थी।।
फ़िर एक शिकारी आया जाल बिछाया।
अपनी उस जाल में उस मासूम को फंसाया।
अब तो पिंजरे में बन्द ज़िन्दगानी हो गयी।
जीना मरना अब एक ही कहानी हो गयी।
बेदम सी पड़ी रही वो कुछ दिन,
तभी शिकारी उसे दाना देने आया था।
दाना ही देना नहीं था उसे तो,
आज पका के खाने का मन बनाया था।
कुछ पल चिडिया घबरा-सी गयी,
पर उसने बिल्कुल हिम्मत न हारी।
घूर कर देखा शिकारी को और,
अपनी तीखी चोंच आंख में दे मारी।
कराह उठा शिकारी ,उड़ चली चिडिया;
प्रकृति भी स्वागत में फूल बिछा रही थी।
बादल बरस बरस कर उस नन्ही के,
खुशियों में खुद खुशियां मना रही थी।।