Hindi Quote in Poem by Raju kumar Chaudhary

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श्लोक 91
रात्रि के गगन में छाई शांति,
तारों ने किया गान।
वन की वीणा में गूँजा स्वर,
जो कहता – प्रेम महान॥

श्लोक 92
चंद्रमा ने बिखेरी किरण,
अमृतांगी के मुख पर छाया।
विक्रमदित्य ने देखा वह रूप,
जैसे स्वर्ग ने भू पर पाया॥

श्लोक 93
प्रेम का दीप जला उस रात,
तपोवन बना साक्षी साथ।
धरती ने लिया प्रण गहन,
कि यह कथा रहे अमर यथार्थ॥

श्लोक 94
कण्व ऋषि के चरणों में झुकी,
अमृतांगी लाज से भीगी।
प्रण लिया उसने मौन मन में,
संग निभाएगी जीवन-सीधी॥

श्लोक 95
प्रकृति ने नृत्य किया उस बेला,
फूलों ने बरसाई माला।
वनदेवता ने किया स्तवन,
प्रेम हुआ पावन और निराला॥

श्लोक 96
श्राप की छाया थी फिर भी घनी,
भाग्य ने रची थी एक कहानी।
स्मृति का बंधन टूटेगा कल,
और बहेगा अश्रु का पानी॥

श्लोक 97
किन्तु उस क्षण का उल्लास अमर,
प्रेम रहा दिव्य और सुंदर।
विक्रम और अमृतांगी संग,
बंधे हृदय के अटूट बंदर॥

श्लोक 98
रात्रि के अंधकार में गूँजा,
भविष्य का गूढ़ रहस्य।
भाग्य की रेखा लिखी गई,
किसी अदृश्य हाथ की तंत्र॥

श्लोक 99
किन्तु नायक और नायिका थे,
प्रेम के अमिट प्रतीक।
संसार बदले, समय रुके,
पर उनका प्रण रहेगा अद्वितीय॥

श्लोक 100
इस प्रकार हुआ प्रथम सर्ग समाप्त,
प्रेम की अमर कहानी आरंभ।
आगे है विरह और संघर्ष,
पर अंत में होगा पुनर्मिलन भव्य॥

Hindi Poem by Raju kumar Chaudhary : 111987980
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