सादगी से सितारा ✨
फितरत में सादगी थी , जीती थी यूँ ही मुस्कुराकर,
पर जब नखरे उठाए,
तो सब वही करने लगे जो मैं पहले ही निभा चुकी थी।
जब भी कोई बात दिल को छूती,
मैं न जली
पर खुद को और अधिक गहराई में ढाल लिया।
खुला जब आकाश मेरे भीतर,
तो मैं एक ऐसी चमक बनी जो कई जन्मों तक सजी रही।
और फिर भी
तू मुझे समझ न सका।
राह में पड़े पत्थर भी मेरे दर्द पर कांपे।
हाँ, मैं हँसती हूँ
जब-जब अपने मन के अनुसार जीती हूँ।
वहीं हँसी मेरी पहचान है, मेरा अधिकार है।
_Mohiniwrites