मज़ाक की पाठशाला
ज़िंदगी का ये बड़ा ही मज़ेदार मेला,
जहाँ हर कोई चलता जैसे कोई खेला।
दोस्तों के साथ करते हैं हम मस्ती,
ना हो दिल उदास, बस हो हँसी की पार्टी।
“अरे तू तो चल रहा जैसे कछुआ ट्रैक्टर,
इतनी धीमी चाल, कोई कर दे मैक्ट्र!”
“यार तेरी स्माइल में है कुछ धमाल,
जैसे GPS खो गया हो बेशुमार माल।”
काम पे जाना? बस बहाना बड़ा है,
सोने की कला में तू बड़ा है किंग।
“ओए, उठ जा यार, तेरा तो बजट भी स्लो है,
कपड़े वही पुराने, जैसे कोई शोज़ हो!”
“मैं तो राजा हूँ सेल्फी का, स्टार हूं सोशल का,
पर बैंक बैलेंस देख के होता हूं थोड़ा कमजोर।”
“पर कौन कहता है कि मज़ाक में नहीं है दम?
हँसी से बढ़कर नहीं कोई ज़िंदगी का संगम।”
तो चलो छोड़ो सारी टेंशन,
मज़ाक के साथ करें इन्फेक्शन।
हर पल हो खुशियों से भरपूर,
मज़ाकिया दिल, ज़िंदगी हो सुपरूर!