1.
अखंड शौर्य का तांडव था, प्रताप की तलवार,
धरा गूंजे रणभूमि से, वीरता का आधार।
स्वाभिमान की लौ को प्रज्वलित कर दे जो,
महाराणा का नाम अमर इतिहास का द्वार।
2.
पराजय से अज्ञात, असाधारण बलिदान का प्रतिरूप,
मरणोपरांत भी जिंदा रहा, प्रताप का स्वरूप।
बूढ़ी धरा का गर्व था, धूप छाँव का संग्राम,
शौर्य के शिखर पर विराजे, रणजीत वीर महाराम।
3.
हृदय में था तूफान, मन में अग्नि का संचार,
आज़ादी के अमर सैनिक, रणभूमि के अचूक प्रहार।
कुल-परिवार, सम्राज्य से बढ़कर था उसका आदर्श,
प्रताप की वीरता की गाथा सदियों तक रहे विश्व।
4.
वीरता की मूरत, साहस का सुमेरु पर्वत,
महाराणा प्रताप ने दिया स्वतंत्रता का पर्वत।
मोड़ दिया इतिहास का चक्र अपने पराक्रम से,
उनकी कहानी गूँजती रहे अमर लोकगीतों में।