अगर आपको आपकी कलम आपको लिखने की हिमत ना दे ,
तो समझ ले कलम ने आपकी और अपने समाज की हथकड़ियां पहन रखी है ।
जो लंबे समय के बाद एक कैदी को वो चूड़ियों का सुख देने लगती है ,
जैसे बिन ब्याह महबूब को देती है ।
आप और मै बागी है ,
कलम ही वो तलवार है ,
जिससे हम इस हथकड़ी को काट सकते है ।