हवा में घुलता हर इक रंग, सब कुछ तुम ही तो हो।
मेरे ख़याल, मेरी उमंग, सब कुछ तुम ही तो हो॥
नज़र जहाँ भी जाए, तेरा ही अक्स दिखता है,
ज़मीन पर है जो या आसमाँ पर, सब कुछ तुम ही तो हो॥
सुकून-ए-दिल हो, या धड़कन की हर सदा,
मेरी सुबह, मेरी शाम-ए-ग़म, सब कुछ तुम ही तो हो॥
जो लब पे आए, वो हर हर्फ़, जो दिल में उतरे, वो,
मेरी ज़ुबाँ, मेरी ख़ामोशी का दम, सब कुछ तुम ही तो हो॥
मुक़द्दर की लकीरों में छुपा हर राज़,
मेरी हयात का हासिल-ओ-रक़म, सब कुछ तुम ही तो हो॥
तुम्हारे बिन भला क्या वजूद है मेरा
मेरा करम, मेरा ईमान, मेरा भरम, सब कुछ तुम ही तो हो॥