अब मान भी जाओ राधे ...!! राधा और देव कभी पड़ोसी हुआ करते थे। दोनों के पारिवारिक सबंध भी बहुत अच्छे थे। दोनों के पापा बिजनेसमैन थे।. दोनों साथ में खेलते ,कभी लड़ाई करते तो कभी पढ़ाई ।पर..साथ नहीं छोड़ते। फिर अचानक से-- देव के पापा का बिजनेस चल पड़ा और उन्होंने दूसरी कॉलोनी में बड़ा घर ले लिया। और ये घर छोड़ दिया। वैसे तो दोनों परिवार ही एक दूसरे को भुल नहीं पा रहे थे पर राधा को देव की कमी कुछ ज्यादा ही खलती थी और देव भी राधा को बहुत याद करता था।
राधे ..... प्रेम की अंगुठी दास्तां - 1
अब मान भी जाओ राधे ...!!राधा और देव कभी पड़ोसी हुआ करते थे। दोनों के पारिवारिक सबंध भी बहुत थे। दोनों के पापा बिजनेसमैन थे।. दोनों साथ में खेलते ,कभी लड़ाई करते तो कभी पढ़ाई ।पर..साथ नहीं छोड़ते।फिर अचानक से-- देव के पापा का बिजनेस चल पड़ा और उन्होंने दूसरी कॉलोनी में बड़ा घर ले लिया। और ये घर छोड़ दिया।वैसे तो दोनों परिवार ही एक दूसरे को भुल नहीं पा रहे थे पर राधा को देव की कमी कुछ ज्यादा ही खलती थी और देव भी राधा को बहुत याद करता था।इसलिए अक्सर वो राधा से मिलने आ ...Read More
राधे ..... प्रेम की अंगुठी दास्तां - 2
इंतजार तो लाली कर रही थी पर राधा उससे भी ज्यादा बैचैन लग थी।कमरे में आते ही बोली _क्या रही थी लाली तुम,मुझे प्यार हो गया है देव से नहीं लाली ऐसी बात नहीं है वो तो देव नहीं आता तो मुझे अच्छा नहीं लगता बस!और वैसे तुम नहीं आती तो भी मुझे अच्छा नहीं लगता। मैं तुमसे भी तोलड़ती हूं।मुझमें और देव में बहुत फर्क है राधा।तुम समझती क्यों नहीं?मैं एक लड़की हु और देव लड़का ।तो क्या हुआ क्या लड़का दोस्त नहीं होता ?उसकी बातों में अब भी बचपन झलक रहा था।ऐसी बात नहीं है राधा पर ...Read More