अंदर आते ही राधा अपने काम में लग गई। दोपहर तक उसका सारा काम हो गया । अब उसे समझ नहीं आ रहा था कि बाकी के समय क्या करें।
तभी मन में ख्याल आया की चलो देव के घर चला जाए पर... क्या ये सही होगा ?
मां की उपस्थिति में झूठ बोलकर देव के घर जाना अलग बात है पर मां की अनुपस्थिति में देव के घर जाना__राधा को ठीक नहीं लगा ।
राधा ने अपने आप को दूसरे कामों में व्यस्त कर लिया और शाम घिर आई। राधा भगवान को दीपक लग रही थी कि तभी बेल बज गई।
राधा को लगा कि घर के सब लोग आ गए हैं वह तुरंत ही दरवाजा खोलने गई और जैसे ही दरवाज़ा खोला सामने-- देव खड़ा था ।
राधा चौंकते हुए बोली --तुम..!!
क्यों कोई और आने वाला था क्या ? देव ने पुछा
नहीं ऐसा कुछ नहीं है तुम अंदर आओ ।
अंदर आते ही देव बोला -घर में कोई नहीं है क्या सब लोग कहां गए हैं ।
सब लोग शादी में गए हैं, राधा बोली
तुम्हें अकेला छोड़कर ? तुम्हें डर नहीं लग रहा राधे।
अपने ही घर में कैसा डर देव, राधा बोली
यह बात भी सही है और फिर तुम तो हो ही झांसी की रानी।
अच्छा ! फिर तो तुम्हें मुझसे डर के रहना चाहिए।
क्यों ? मैं क्यों डरू तुमसे।
चलो छोड़ो - -यह बताओ देव चाय पीओगे ?
तुम तो जानती हो राधे कि मैं चाय नहीं पिता पर तुम बनाओगी तो पी लूंगा।
ठीक है फिर ,तुम छत पर जाकर बैठो मैं चाय बना कर लाती हू।
आपका हुक्म सर-आंखों पर देव मुस्कुराते हुए बोला और छत पर चला गया।
चांदनी रात और शीतल हवा बहुत ही सुहावनी लग रही थी। देव छत पर टहलने लगा फिर छत पर पड़े पलंग पर बैठ गया।
कुछ देर में राधा भी चाय लेकर आ गई। दोनों ने चाय पी फिर बातों में लग गए।
तभी... एक हवा का झोंका आया और राधा की लटें उसके गालों पर बिखर गई।
देव निहार रहा था,,, चांदनी रात में राधा का रूप कुछ और ,ज्यादा ही निखर आया था। चेहरे पर अटखेलिया करती बालों की लटें।
देव ,, चुंबक की तरह राधा के करीब खींचा चला गया और जैसे ही बालों की लटों को चेहरे से हटाने लगा ,, उसके स्पर्श से राधा के बदन में बिजली सी चमक गई..!!
देव पास आया तो,,राधा ने अपनी आंखें बंद कर ली थी, उसकी धड़कनें बढ़ गई थी।
देव, राधा के थोड़े और करीब आ गया इतना कि.. उसे राधा की धड़कने साफ सुनाई दे रही थी ।
देव अपने आप को रोक नहीं पाया और उसके होठों ने राधा के माथे को चूम लिया ,,
राधा की धड़कने ..और तेज हो गई थी.
देव के स्पर्श से ,उसका बदन एकदम ठंडा हो गया था ,जैसे उसने आत्म -समर्पण कर दिया हो देव के सामने ।
देव ने भी उसे अपने आगोश में ले लिया,,
सिमट गई राधा --देव की बाहों में,
देव ने देखा -- राधा की बंद आंखें और कंपन करते फुल सी पंखुड़ियों से रसीले होंठ फिर....
रोक नहीं पाया देव, अपने आप को और रख दिए अपने होंठ -राधा के होंठों पर !!
राधा पहले ही "आत्मसमर्पण "कर चुकी थी ,
देव के स्पर्श ने...छु लिया था --राधा की आत्मा को..!!
(निःशब्द राधा और प्रेम से भरा देव,)
इस शीतल चांदनी में दोनों एक-दूसरे में खो गए।
देव ने, (फुलों पर मंडराते भंवरे की तरह) राधा के होंठों का रसपान किया,
राधा भी मानो _प्यासी घरती के समान,
""देव की प्रेम वर्षा में भीगती रही।''
**काश..!! ये रात कभी ख़तम ना हो और,ये पल.. यही रूक जाए**
((मन कह उठे दोनों के))
फिर...
एक हवा का तेज झोंका आया, और राधा की तृंद्रा भंग हो गई। कसमसाते हुए उसने अपने आप को देव की बाहों से अलग करने कि कोशिश की पर...
देव ने फिर..उसे अपने आगोस में ले लिया। उसका मन तैयार ही न था,, राधा को अपने आप से अलग करने को और शायद.. राधा का भी...!!
**चांदनी रात में दो आत्माओं का ऐसा मिलन अमर कर दिया था दोनों के पवित्र रिश्तों को**
राधा का मन झुम उठा था शर्म की लाली से उसके गाल और भी गुलाबी हो गये थे।
ये सब उनकी कल्पना से परे था। उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं कि थी कि...एक ऐसा पल भी उनके जीवन में आने वाला है उनकी सोच कभी वहां तक पहुंची ही नहीं थी कि कभी स्पर्श भी करेंगे एक दूसरे को पर..आज वो सब बस,,,हो गया..!!
तृप्त हो गई थी दोनों की आत्मा,प्रेम रस में डूबकर
पर दोनों अपने दायरे समझते थे शायद,,
इसलिए,,,,
देव ने दुबारा राधा के माथे को और गालों को चूमा और..
फिर आऊंगा राधे ,,कहकर तुरंत चला गया उसे ज्यादा रूकना ठीक नहीं लगा।
अपने मन को सम्हालते हुए बोली राधा _ठीक है देव पर..जल्दी आना।
राधा छत पर खड़ी देव को जाते हुए देख रही थी कि... तभी उसे एक साया नजर आया।
जैसे कोई देख रहा हो उसने दुबारा देखा, एक साया था जो उसके घर के इर्द-गिर्द मंडरा रहा था।
चांदनी रात थी इसलिए राधा ने आसानी से पहचान लिया वो साया , कोई और नहीं बल्कि राज ही था ।
राधा डर गई पता नहीं अब कल क्या होगा? कितनी नमक मिर्च लगाकर बताऐगा भाई को ??
फिर सोचा.. कल की कल देखी जाएगी और लेट गई बेड पर आकर अपने उन मीठे पलों के साथ जो,,,देव के साथ छण भर पहले बिताए थे.!!
देर रात घर के सभी लोग भी आ गए। मां और पापा ने पूछा राधा ,तुम ठीक हो न बेटा।
राधा ने सहमति में सर हिला दिया रात बहुत हो चुकी थी इसलिए सब अपने कमरे में जाकर सो गए सब ने कहा सुबह बात करते हैं।
उधर देव भी घर पहुंच कर खाने के बाद जैसे ही सोने गया तो बैचेन हो गया उसे बार बार वही पल सता रहे थे जो उसने अभी राधा के साथ बिताए थे उसे फिर से राधा से मिलने की तड़प हो रही थी । फिर जाने कब करवटें बदलते -बदलते उसकी निंद लग गई ।
दुसरे दिन ___
सब उठकर अपने-अपने कामों में व्यस्त थे तभी राज आ गया,राधा उसको देखकर थोड़ा डर गई फिर अपने आप को संभाल लिया। और अपने कमरे में चली गई। आने वाले तूफान के लिए उसने अपने आप को रात से ही तैयार कर लिया था। उसे पता था कि बस थोड़ी देर में ही मां और भाई से डांट पिटने वाली है पर... ऐसा कुछ नहीं हुआ।
राधा को यकीन नहीं हुआ तो वह कमरे से बाहर आ गई आकर उसने देखा कि सब लोग शांति से बात कर रहे हैं।
राधा को देखते ही भाई बोला --आओ राधा तुम भी मिठाई खा लो । सबके चेहरे पर मुस्कुराहट थी और राज के चहरे पर कुटिल मुस्कान ।
राधा को कुछ अजीब लगा पर ,समझ कुछ नहीं आया कि सब लोग इतने खुश क्यों है ?
उसे लगा कि शादी के घर की मिठाई है तो उसने भी खुशी-खुशी खा ली।
शाम 5: बजे सब चाय की टेबल पर मौजूद थे तभी मां राधा का माथा चुमते हुए बोली __हम सब बहुत खुश है बेटा उन लोगों ने तुम्हें पसंद कर लिया है लड़का सरकारी नौकरी पर है। तुम्हें बिना देखे ही लड़के ने सादी के लिए हां कर दी है।
अरे तुम्हारी सास, मेरे ही गांव की तो है उन्होंने देखा है तुम्हें पिछले साल जब, तुम नाना के घर गई थी। हम सबको तो यह रिश्ता बहुत पसंद आया इसलिए हमने भी हां कह दी।
सुनते ही राधा पर जैसे 'कहर 'टुट गया हो??
जैसे पैरों के नीचे ज़मीन ही न हो ,
मां के शब्द उसके लिए बम धमाके से कम न थे,
कांप गई राधा ,,उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बह निकली दौड़कर अपने कमरे मे आई और पलंग पर निढाल सी गिर गई।
सब जानते थे राधा के मन की बात इसलिए कोई उसके कमरे में ना गया ।
देर रात जब सब खाना खाने बैठे तो राधा नहीं थी पापा ने पूछा -राधा नहीं आई तो माया देवी बोली -शाम से ही अपने कमरे में है तुम ही बुलाओ अपनी बेटी को मुझसे नहीं होगा।
वृषभानु जी उठकर राधा के कमरे की ओर बढ़ गये राधा पलंग पर पड़ी थी उसकी आंखें रोते रोते सुज गई थी ।
पापा को देखते ही राधा लिपट गई पापा से और फिर रोने लगी। पापा ने प्यार से राधा को चुप कराया और कहां --पहले खाना खाते हैं फिर आराम से तुम्हारी बात सुनुगा । राधा ने सहमति में सर हिला दिया।
खाने के बाद....