वो जो दोस्त था राजीव की ज़िंदगी में कोई बड़ी बात नहीं थी। वह न कोई बड़ा बिज़नेसमैन था, न सेलिब्रिटी, और न ही किसी खास खानदान से ताल्लुक रखता था। लेकिन फिर भी, उसमें कुछ खास था—वो अपने लोगों के लिए हमेशा खड़ा रहने वाला इंसान था। आज की दुनिया में, जहां रिश्ते मतलब से जुड़ते हैं, राजीव उन पुराने किस्म के लोगों में से था, जो दोस्ती को निभाने का हुनर रखते हैं। राजीव दिल्ली की एक सरकारी नौकरी में कार्यरत था—ठीक-ठाक सैलरी, एक टू-व्हीलर, और जनकपुरी के पास एक छोटा सा किराए का फ्लैट। दिनभर ऑफिस, ट्रैफिक, और वही रोज़मर्रा की रूटीन। मगर इस थकी हुई रूटीन में जो थोड़ी ताजगी थी, वो थे उसके कुछ पुराने दोस्त, जिनमें सबसे खास था—कमल।

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फोकटिया - 1

वो जो दोस्त थाराजीव की ज़िंदगी में कोई बड़ी बात नहीं थी। वह न कोई बड़ा बिज़नेसमैन था, न और न ही किसी खास खानदान से ताल्लुक रखता था। लेकिन फिर भी, उसमें कुछ खास था—वो अपने लोगों के लिए हमेशा खड़ा रहने वाला इंसान था।आज की दुनिया में, जहां रिश्ते मतलब से जुड़ते हैं, राजीव उन पुराने किस्म के लोगों में से था, जो दोस्ती को निभाने का हुनर रखते हैं। राजीव दिल्ली की एक सरकारी नौकरी में कार्यरत था—ठीक-ठाक सैलरी, एक टू-व्हीलर, और जनकपुरी के पास एक छोटा सा किराए का फ्लैट।दिनभर ऑफिस, ट्रैफिक, और वही रोज़मर्रा ...Read More

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फोकटिया - 2

बात अब सिर्फ दोस्ती की नहीं रही(पुस्तक: फोकटिया | लेखक: धीरेन्द्र सिंह बिष्ट)“हर रिश्ता निभाना ज़रूरी नहीं,कुछ को छोड़ना खुद से वफ़ा होती है।”— धीरेन्द्र सिंह बिष्टराजीव ने जब कमल से दूरी बनाई, तो उसका इरादा बदला लेने का नहीं था। वह बस थक गया था—हर बार देने से, हर बार उम्मीद करने से कि शायद इस बार कमल कुछ बदलेगा। अब वह सिर्फ अपनी मानसिक शांति चाहता था।लेकिन कमल को यह दूरी समझ नहीं आई। उसकी आदत थी कि लोग उसके आसपास रहें, उसके हिसाब से चलें, और अगर वह कुछ न भी दे, तो भी उसे सब ...Read More